बिना ऑपरेशन बच्चे के पेट से निकाली गई ढाई इंच की कील

नागपुर. टीवी देखते-देखते एक सात साल का बच्चा जंग लगी कील निगल गया। ढाई इंच का यह कील मुंह के रास्ते पेट तक पहुंच गया। परिजन रात में ही मेडिकल अस्पताल पहुंचे। यहां से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर िकया गया। डबल बैलून एंडोस्कॉपी की मदद से बिना ऑपरेशन बच्चे के पेट से कील निकालने में सफलता मिली है। बच्चा अब सुरक्षित है।
बिना ऑपरेशन बच्चे के पेट से निकाली गई ढाई इंच की कील
 
गोंदिया जिले के बोपेसर गांव निवासी हिमांशु क्षीरसागर (7) 27 जुलाई को टीवी देख रहा था। उसने अपने मुंह में लोहे की कील डाल रखी थी। अचानक हिमांशु कील को निगल गया। कील छोटी आंत के द्वार तक पहुंच गई और बच्चे के िलए मुसीबत बढ़ गई। घबराए मां-बाप मेडिकल पहुंचे। 28 जुलाई दोपहर 12 बजे ओपीडी में एक्स-रे किया गया तो कील साफ दिखाई दे रही थी। दूरबीन से देखा गया तो कील ड्यूडनम के तीसरे हिस्से तक पहुंच चुकी थी। मतलब छोटी आंत के अंदर तक थी। इसके बाद एंडोस्कोपी की मदद से कील को पेट में लाया गया।

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बच्चे के पेट में खाना होने के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था। इस वजह से एक दिन बाद 29 जुलाई दोपहर एक बार फिर डबल बैलून एंड्रोस्कोपी से प्रोसीजर शुरू हुआ। अबकी सफलता मिली और कील को बाहर निकाल लिया गया। आधे घंटे चले इस प्रोसीजर में डाॅ. गुप्ता के नेतृत्व में डाॅ. राजेश नागमोते, डाॅ. अमोल समर्थ, डाॅ. नितिन गायकवाड़, डाॅ. केतकी रामटेके, डाॅ. तुषार संकलेचा, डाॅ. हरीश कोठारी, सोनम गट्टेवार, सायमन माडेवार, रेखा केने अादि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

 
साढ़े तीन साल की परी के पेट से निकाला हाथ की घड़ी का सेल
मौर्सी (अमरावती) स्थित बरहानपुर निवासी एक साढ़े तीन साल की बच्ची परी भोंडे ने 15 दिन पहले हाथ की घड़ी का सेल निगल िलया था। इसके बाद उसने बताया कि उसने एक रुपए का सिक्का निगल िलया। परिजन उसे नागपुर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल लेकर आए। यहां जांच में पता चला कि वह सिक्का नहीं बल्कि हाथ की घड़ी का सेल है। आठ दिन पहले ही यहां के डॉक्टरों ने उस सेल को निकालने में सफलता पाई है। 
 
कील छोटी आंत में जा सकती थी पर हमने उसके पहले ही उसे वहां से निकाल लिया। यदि अंदर चली जाती तो फिर ऑपरेशन ही करना पड़ता। यह भी डबल बैलून एंडोस्कोपी से संभव हो पाया।
-डॉ. सुधीर गुप्ता, विभाग प्रमुख, गेस्ट्राेएंट्रोलॉजिस्ट, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
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