शुक्रवार को दायर याचिका में पवन ने तीन मार्च को फांसी टालने की भी गुहार लगाई है। उसने दावा किया है कि घटना के वक्त वह नाबालिग था। वकील एपी सिंह के जरिये दायर याचिका में कहा गया कि पूर्व के आदेशों में उम्र संबंधी गलती को सुधारा जाना चाहिए, नहीं तो न्याय की हत्या होगी। पवन की याचिका से फांसी की तारीख फिर टलने की आशंका हैं। दरअसल, सुधारात्मक याचिका पर फैसला आने के बाद यदि उसने दया याचिका दी, तो उसमें भी वक्त लग सकता है। चारों दोषी एक-एक कर अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया था कि चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी जाएगी। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जो अभी लंबित है।