World Cancer Day 2020: जानें कैंसर होने का सबसे मामूली कारण, जो लोग..

जो लोग सिगरेट पीते हैं, उनमें फेफड़ों का कैंसर होने का जोखिम रहता है, लेकिन ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग घंटों ट्रैफिक से गुजरते हैं, उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है। चाहे उन्होंने जिंदगी में कभी स्मोकिंग नहीं की हो। अमेरिका में कैंसर से मरने वालों में छठा कारण नॉन-स्मोकर हैं। यानी वे लोग जो धूम्रपान नहीं करते हैं। यही स्थिति भारत में है। यहां वायु प्रदूषण के कारण लोगों को फेफड़े का कैंसर हो रहा है। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं, जो ट्रैफिक से जूझते हैं।

एनवायरमेंटल साइस: प्रोसेसेस एंड इम्पैक्ट्स जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जिन इलाकों में भारी ट्रैफिक जाम होता है, वहां रहने वालों में फेफड़े के कैंसर के केस बढ़ रहे हैं। इस अध्ययन के अनुसार, जहां ट्रैफिक जाम होता है, वहां कारों के अंदर भी प्रदूषण का स्तर 40 फीसदी अधिक होता है। वहीं ऐसे माहौल में वाहन चलाने वाले ड्रायवरों में कैंसर का खतरा 29 गुना अधिक हो जाता है।

अध्ययन के अनुसार, ट्रैफिक जाम में फंसने पर कार का फैन बाहर की दूषित हवा लेकर अंदर फेंकता है। इस कारण कार के अंदर का वातावरण भी प्रदूषित हो जाता है। जानकारों के मुताबिक, यह समझना जरूरी है कि इस जहरीली हवा के अंदर क्या है और यह कैसे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है। हमारे आसपास की वायु में जो प्रदूषण होता है, उसका 25 से 40 फीसदी हिस्सा वाहनों से आता है। इसके अलावा इंडस्ट्रीज, एनर्जी और घरों से निकलने वाली गर्मी भी कारण होती है।

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बचने के लिए करें ये उपाय

जहां तक संभव हो, ट्रैफिक जाम से बचें। लंबे ही सही, लेकिन ऐसे रास्तों को चुनें, यहां ट्रैफिक आराम से निकल रहा है।

यदि कार ट्रैफिक में फंस गई है तो सारे शीशे पूरी तरह बंद रखें। कोशिश करें कि बाहर का प्रदूषण अंदर न आ पाए।

यदि ज्यादा समय लग रहा है तो कार का इंजन बंद कर दें। यदि सभी वाहन वाले ऐसा करेंगे तो जहरीला धुआं कम निकलेगा।

टू-व्हीलर पर हैं तो खतरा ज्यादा है। मास्क पहनकर निकलें।

ऐसे माहौल से रोज गुजरना पड़ता है तो सुबह योग करें। फेंफड़ों को मजबूत रखने के उपाय करें। साल में कम से कम दो बार डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

 

 
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