छिपी है ये सियासी चाल,लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने के पीछे

images (16)लंबी कवायद के बाद आखिरकार लखनऊ स्मार्ट सिटी बनने की कतार में शामिल हो ही गया। पर, फैसले के पीछे सिर्फ अंकों का खेल ही नहीं दिख रहा है बल्कि राजनीतिक गणित भी नजर आ रहा है। ऐसा लगता है कि प्रदेश में कुछ महीनों बाद शुरू होने वाले चुनावी समर को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने सियासी समीकरण साधने के साथ ही सपा और बसपा जैसे दलों को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। 
पूरी स्थिति और लखनऊ को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के लिए प्रक्रिया में किए गए बदलाव से यह बात और साफ तौर पर दिखाई देती है। यही नहीं, कहीं न कहीं इसके पीछे केंद्र और राज्य सरकारों में काम करने का श्रेय लेने की होड़ भी नजर आ रही है। 

जिसके चलते केंद्र सरकार ने लखनऊ को स्मार्ट सिटी की सूची में नंबर एक पर रखकर यूपी को अपने पूरे एजेंडे में सबसे टॉप पर रखने का संदेश देने की कोशिश की है। साथ ही उसकी मंशा यह जानकारी देने की भी दिख रही है कि यूपी सरकार भले ही सूबे के लोगों की सुविधाओं की अनदेखी कर रही हो, लेकिन केंद्र उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं देने के लिए बेहद गंभीर है। 

जून 2015 से शुरू हुई लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद के एक साल बाद जिस तरह मुकाम पर पहुंची है, उससे लग रहा है कि चुनावी समर में भाजपा का एक मुद्दा स्मार्ट सिटी भी होगा।

Back to top button