घर आई इंस्पेक्टर बुआ के डेबिट कार्ड से भतीजे ने ऑनलाइन निकाल लिए 70 हजार रुपए

  • इंदौर.अपने घर आए रिश्तेदारों के डेबिट कार्ड का फोटो लेकर पेटीएम वॉलेट से उनके खातों को खाली करने वाले 12वीं के एक छात्र को साइबर सेल पुलिस ने ट्रेस किया है। छात्र ने पुलिस विभाग में पदस्थ इंस्पेक्टर बुआ के खाते से 70 हजार रुपए पेटीएम के जरिए दोस्त के खाते में डाले, फिर उन्हें कैश कर निकाल लिया। जब उस तक साइबर सेल की टीम पहुंची तो उसने बताया एेसा वह दादा, मौसी और चाचा के एटीएम से भी कर चुका है और करीब 72 हजार रुपए निकाल चुका है। हालांकि घर का मामला होने से बुआ ने उसके खिलाफ एफआईआर नहीं लिखवाई। पुलिस ने छात्र को सख्त हिदायत देकर छोड़ दिया। 
    इंदौर.अपने घर आए रिश्तेदारों के डेबिट कार्ड का फोटो लेकर पेटीएम वॉलेट से उनके खातों को खाली करने वाले 12वीं के एक छात्र को साइबर सेल पुलिस ने ट्रेस किया है। छात्र ने पुलिस विभाग में पदस्थ इंस्पेक्टर बुआ के खाते से 70 हजार रुपए पेटीएम के जरिए दोस्त के खाते में डाले, फिर उन्हें कैश कर निकाल लिया। जब उस तक साइबर सेल की टीम पहुंची तो उसने बताया एेसा वह दादा, मौसी और चाचा के एटीएम से भी कर चुका है और करीब 72 हजार रुपए निकाल चुका है। हालांकि घर का मामला होने से बुआ ने उसके खिलाफ एफआईआर नहीं लिखवाई। पुलिस ने छात्र को सख्त हिदायत देकर छोड़ दिया। जिला साइबर सेल एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया गत 31 मई को शिवशक्ति नगर में रहने वाली एक महिला इंस्पेक्टर ने शिकायत की थी कि उनके एसबीआई अकाउंट के डेबिट कार्ड से 70 हजार रुपए पेटीएम के माध्यम से किसी अन्य खाते में ट्रांसफर हुए हैं। साइबर सेल ने जांच की तो पता चला रुपए पेटीएम वॉलेट के जरिए मंडलेश्वर के रहने वाले एक युवक के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खाते में ट्रांसफर हुए हैं। टीम ने युवक को उठाया तो उसने अपने दोस्त (12वीं) के छात्र की जानकारी दी। इस पर टीम ने छात्र को पकड़ा तो वह शिकायतकर्ता इंस्पेक्टर का भतीजा निकला। ओटीपी देखकर निकाल लेता था रुपए उसने बताया बुआ घर आई थीं तभी उनके डेबिट कार्ड का मोबाइल से आगे-पीछे का फोटो ले लिया। फिर उनके कार्ड की सारी जानकारी पेटीएम वॉलेट पर अपलोड की। उसे पता था बुआ मोबाइल में स्क्रीन लॉक नहीं लगाती हैं। इसी का फायदा उठाकर उसने पेटीएम वॉलेट से जारी ओटीपी भी बुआ के मोबाइल से देख लिए और उनके खाते को लिंक कर उसमें से 70 हजार रुपए अपने पेटीएम वॉलेट में ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद उसने वॉलेट के रुपए दोस्त के खाते में भेजकर उसे कैश कर निकाल लिया। उसने कबूला कि दादा के 36 हजार, मौसी के 26 हजार और चाचा के 11 हजार रुपए भी मोबाइल पर ओटीपी देखकर ट्रांसफर कर चुका है। मोबाइल को पासवर्ड से लॉक रखें एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कई वॉलेट में सिर्फ कार्ड डिटेल और सीवीवी कोड या कार्ड नंबर डालकर ही काफी जानकारी कार्ड धारक की निकल जाती है। वहीं कार्ड की जानकारी लिंक होने के बाद कई वॉलेट एेसे हैं जिनमें उस जानकारी को लोड करें तो वे तत्काल उसी कार्ड धारक के मोबाइल पर ओटीपी जनरेट कर देते हैं। स्क्रीन लॉक न होने पर कोई भी ये ओटीपी देखकर डेबिट या क्रेडिट कार्ड से रुपए ट्रांसफर कर लेता है, इसलिए सभी को वर्चुअल वर्ल्ड में सुरक्षित रहने के लिए अपने मोबाइल को फिंगर प्रिंट्स पासवर्ड या कोड से लॉक रखना जरूरी है।
    जिला साइबर सेल एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया गत 31 मई को शिवशक्ति नगर में रहने वाली एक महिला इंस्पेक्टर ने शिकायत की थी कि उनके एसबीआई अकाउंट के डेबिट कार्ड से 70 हजार रुपए पेटीएम के माध्यम से किसी अन्य खाते में ट्रांसफर हुए हैं। साइबर सेल ने जांच की तो पता चला रुपए पेटीएम वॉलेट के जरिए मंडलेश्वर के रहने वाले एक युवक के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के खाते में ट्रांसफर हुए हैं। टीम ने युवक को उठाया तो उसने अपने दोस्त (12वीं) के छात्र की जानकारी दी। इस पर टीम ने छात्र को पकड़ा तो वह शिकायतकर्ता इंस्पेक्टर का भतीजा निकला।

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    ओटीपी देखकर निकाल लेता था रुपए

    उसने बताया बुआ घर आई थीं तभी उनके डेबिट कार्ड का मोबाइल से आगे-पीछे का फोटो ले लिया। फिर उनके कार्ड की सारी जानकारी पेटीएम वॉलेट पर अपलोड की। उसे पता था बुआ मोबाइल में स्क्रीन लॉक नहीं लगाती हैं। इसी का फायदा उठाकर उसने पेटीएम वॉलेट से जारी ओटीपी भी बुआ के मोबाइल से देख लिए और उनके खाते को लिंक कर उसमें से 70 हजार रुपए अपने पेटीएम वॉलेट में ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद उसने वॉलेट के रुपए दोस्त के खाते में भेजकर उसे कैश कर निकाल लिया। उसने कबूला कि दादा के 36 हजार, मौसी के 26 हजार और चाचा के 11 हजार रुपए भी मोबाइल पर ओटीपी देखकर ट्रांसफर कर चुका है। 

    मोबाइल को पासवर्ड से लॉक रखें

    एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कई वॉलेट में सिर्फ कार्ड डिटेल और सीवीवी कोड या कार्ड नंबर डालकर ही काफी जानकारी कार्ड धारक की निकल जाती है। वहीं कार्ड की जानकारी लिंक होने के बाद कई वॉलेट एेसे हैं जिनमें उस जानकारी को लोड करें तो वे तत्काल उसी कार्ड धारक के मोबाइल पर ओटीपी जनरेट कर देते हैं। स्क्रीन लॉक न होने पर कोई भी ये ओटीपी देखकर डेबिट या क्रेडिट कार्ड से रुपए ट्रांसफर कर लेता है, इसलिए सभी को वर्चुअल वर्ल्ड में सुरक्षित रहने के लिए अपने मोबाइल को फिंगर प्रिंट्स पासवर्ड या कोड से लॉक रखना जरूरी है।
     
     
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