उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट से उम्मीदें जगीं, मगर चुनौतियां बरकरार

पहाड़ के पानी और जवानी को यहीं थामने के लिहाज से यह साल खासी उम्मीदें जगा गया। खासकर, खाली हाथों को प्रदेश में ही रोजगार के अवसर मुहैया कराने के मद्देनजर औद्योगिक विकास के मामले में। राज्य गठन के बाद पहली मर्तबा सात व आठ अक्टूबर को देहरादून में हुए ‘डेस्टिनेशन उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट’ के दरम्यान जिस प्रकार से देश-विदेश के नामी औद्योगिक घरानों ने इस हिमालयी राज्य में निवेश की इच्छा जताई, उससे उम्मीदों का सागर हिलोरें लेने लगा है।उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट से उम्मीदें जगीं, मगर चुनौतियां बरकरार

उम्मीद औद्योगिक विकास के जरिये आर्थिक तरक्की के साथ ही रोजगार के दरवाजे खुलने की। ये भी उम्मीद जगी है इस मुहिम के तहत पर्वतीय इलाकों में इकाइयां स्थापित होने के साथ ही वहां के किसानों भी लाभ मिलेगा। तस्वीर के इस सबल पक्ष के बीच चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सबसे अहम यह कि समिट के दौरान आए सवा लाख करोड़ से अधिक के जिन निवेश प्रस्तावों को लेकर एमओयू हुए, उन्हें धरातल पर आकार देने के मद्देनजर लगातार फॉलो करना होगा। इसके साथ ही बेहतर औद्योगिक वातावरण तैयार कर उद्यमियों को सहूलियतें भी देनी होंगी। हालांकि, राज्य सरकार ने इसके लिए बाकायदा प्रकोष्ठ गठित किया है, लेकिन इसे लेकर अधिक गंभीरता दिखानी होगी।

सवा लाख करोड़ के निवेश प्रस्‍ताव

विषम भूगोल वाले उत्तराखंड राज्य के गठन के पीछे भी शिक्षा और रोजगार से जुड़े प्रश्न सबसे अहम थे। राज्य बनने के बाद से अब तक यहां एमएसएमई सेक्टर में उद्यमियों ने रुचि दिखाई, लेकिन भारी उद्योग रफ्तार नहीं पकड़ पाए। हालांकि, ये भी सच है कि सूबे के पर्वतीय क्षेत्र आज भी औद्योगिक विकास से महरूम हैं। ये तब है, जबकि 2008 में उद्योगों को पहाड़ ले जाने को बाकायदा नीति बनी थी। बावजूद इसके लिए पहाड़ में उद्योग नहीं चढ़ पाए।

ऐसा नहीं कि औद्योगिक विकास के मद्देनजर प्रयास नहीं हुए। प्रयास हुए, मगर इन्हें लेकर मजबूत इच्छाशक्ति की कमजोरी बाधक बनती रही। इस स्थिति को देखते हुए मौजूदा सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। इसमें निवेशकों के उत्साह से बेहतर भविष्य की उम्मीदें जवां हुई हैं। इस दरम्यान सरकार ने निवेशकों के साथ एक लाख 24 हजार 365 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर दस्तखत किए हैं।

निवेशकों ने सरकार की ओर से तय 13 सेक्टरों के अंतर्गत पर्यटन, ऊर्जा, कृषि-औद्यानिकी व फूड प्रोसेसिंग, स्वास्थ्य, मेन्युफैक्चरिंग समेत अन्य क्षेत्रों में रुचि ली है। यदि ये निवेश प्रस्ताव यहां फलीभूत हुए तो सूबे की आर्थिक स्थिति संवरते देर नहीं लगेगी। इसके साथ ही पलायन का दंश झेल रहे राज्य में युवाओं के लिए रोजगार खुलेंगे। अब यह सरकार पर है कि वह निवेश प्रस्तावों में से कितनों को धरातल पर उतरवा पाती है।

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