मन की बात में बोले मोदी- जो कठिनाई हुई इसके लिए क्षमा मांगता हूं पर इस जंग के लिए लॉकडाऊन जरूरी था

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया।प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आमतौर पर मैं मन की बात में कई विषयों को लेकर आता हूं, लेकिन आज देश के मन में सिर्फ एक ही बात है कोरोना वैश्विक महामारी से आया हुआ भयंकर संकट, ऐसे में मैं कुछ और कहूं वो उचित नहीं होगा। हो सकता है, बहुत से लोग मुझसे नाराज होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है। मैं आपकी दिक्कतें समझता हूं, लेकिन हमारे पास कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए ये कदम उठाए बिना कोई उचित रास्ता नहीं था। मैं फिर एक बार, आपको जो भी असुविधा हुई है, कठिनाई हुई है, इसके लिए क्षमा मांगता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है। ये ना तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है और न ही कोई क्षेत्र देखता है और न ही कोई मौसम। इसलिए लोगों को इसे खत्म करने के लिए एकजुट होकर संकल्प लेना होगा। मैं जानता हूं कि कोई कानून नहीं तोड़ना चाहता, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि अभी भी वो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे। अगर आप 21 दिनों के लॉकडाउन का नियम तोड़ेंगे तो वायरस से बचना मुश्किल होगा। कुछ लोगों को लगता है की वो लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं तो ऐसा करके वो मानो जैसे दूसरों की मदद कर रहे हैं, ये भ्रम पालना सही नहीं है। ये लॉकडाउन आपके खुद के बचने के लिए है। आपको अपनों को बचाना है और अपने परिवार को बचाना है
दुनिया भर में बहुत से लोगों को कुछ इसी तरह की खुशफहमी थी। आज ये सब पछता रहे हैं। बीते दिनों में मैंने ऐसे कुछ लोगों से फोन पर बात की है, उनका उत्साह भी बढ़ाया है और उनसे बातें करके मेरा भी उत्साह बढ़ा है। पीएम ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है कि ‘एवं एवं विकार, अपी तरुन्हा साध्यते सुखं’ यानि बीमारी और उसके प्रकोप में शुरुआत में ही निबटना चाहिए। बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं, तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है और आज पूरा हिन्दुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है। पीएम ने कहा कि जो हमारे फ्रंट लाइन सोल्जर्स हैं। खासकर के हमारी नर्सेज बहनें हैं, नर्सेज का काम करने वाले भाई हैं, डॉक्टर हैं, पैरा मेडिकल स्टाफ हैं, ऐसे साथी जो कोरोना को पराजित कर चुके हैं.आज हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।’ मानवता से भरी हुई हर नर्स को आज मैं नमन करता हूं। आप सभी जिस सेवा भाव से कार्य करते हैं वो अतुलनीय है, ये भी संयोग है कि वर्ष 2020 इंटरनैशनल ईयर ऑफ द नर्सेज एंड मिडवाइफ के तौर पर मना रहा है।’
आप जैसे साथी चाहे वो डॉक्टर हों, नर्स हों, पैरा मेडिकल, आशा, एएनएम कार्यकर्ता, सफाई कर्मचारी हो आपके स्वास्थ्य की भी देश को बहुत चिंता है। इसी को देखते हुए ऐसे करीब 20 लाख साथियों के लिए 50 लाख रुपए तक के स्वास्थ्य बीमा की घोषणा सरकार ने की है। जरा आप अपने पड़ोस में मौजूद छोटी परचून की दुकान के बारे में सोचिए, उन ड्रइवर्स, उन वर्कर्स के बारे में सोचिये, जो बिना रुके अपने काम में डटे हैं ताकि देश भर में आवश्यक वस्तुओं की suppy-chain में कोई रुकावट ना आए।
आप लॉकडाउन के समय भी जो टीवी देख पा रहे हैं, घर में रहते हुए जिस फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं उन सब को सुचारू रखने के लिए कोई न कोई अपनी जिंदगी खपा रहा है। लॉकडाउन के दौरान यही वो लोग हैं जो देश के काम-काज को संभाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमें ये समझना होगा कि मौजूदा हालात में अभी एक-दूसरे से सिर्फ सोशल डिस्टेंस बना कर रखना है, न कि इमोशनल या ह्यूमन डिस्टेंस। पीएम ने कहा कि सोशल मीडिया में ही मैंने देखा कि कुछ लोगों ने वर्षों से घर में पड़े तबला, वीणा, जैसे संगीत के वाद्ययंत्रों को निकालकर रियाज करना शुरू कर दिया है। आप भी ऐसा कर सकते हैं।
कोरोना वायरस के खिलाफ ये युद्ध अभूतपूर्व और चुनौतीपूर्ण है। इस दौरान लिए जा रहे फैसले ऐसे है, जो दुनिया के इतिहास में कभी देखने और सुनने को नहीं मिले। इसे रोकने के लिए जो प्रयास हो रहे हैं वही भारत को इस महामारी पर जीत दिलाएंगे। ‘मन की बात’ के लिए, फिर, अगले महीने मिलेगें और तब तक इस संकटों को मात करने में हम सफल हो भी जाएं, इसी एक कल्पना के साथ, इसी एक शुभकामना के साथ, आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद।

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