योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट तेज, कुछ नए चेहरों को मिल सकता है मंत्रियों का पद

योगी सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट एक बार फिर तेज हो गई है। कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करने के साथ अयोध्या जैसे कुछ महत्वपूर्ण स्थानों को भागीदारी मिल सकती है। कुछ का कद बढ़ाने तो कुछ के कद व पद में काट-छांट किए जाने के संकेत मिल रहे हैं।

चर्चा है कि मिशन 2019 की फतह की तैयारी में जुटी भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व सितंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू हो रहे पितृपक्ष से पहले इस काम को पूरा कर लेने पर विचार कर रहा है। अगर यह फेरबदल होता है तो योगी सरकार के मंत्रिमंडल का पहला फेरबदल होगा।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद प्रदेश के महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल को दिल्ली में रोककर राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस सिलसिले में विचार-विमर्श पूरा कर लिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ भी नेतृत्व ने बातचीत की है।

लगभग 17 महीने पहले बने योगी मंत्रिमंडल में अभी मुख्यमंत्री सहित 47 सदस्य हैं। प्रदेश में विधायकों की संख्या 403 के आधार पर मंत्रियों की संख्या 60 तक हो सकती है। इस प्रकार मंत्रिमंडल में अभी 13 लोगों को और शामिल किया जा सकता है।

अयोध्या सहित इनको मिल सकती है भागीदारी

प्रदेश के कुल 75 जिलों में से 44 जिलों का मंत्रिमंडल में अभी प्रतिनिधित्व ही नहीं है जबकि लखनऊ से सबसे ज्यादा 7 मंत्री हैं। अयोध्या भाजपा के एजेंडे का प्रमुख मुद्दा है लेकिन मंत्रिमंडल में पूरे फैजाबाद मंडल के किसी जिले का प्रतिनिधित्व नहीं है। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर फेरबदल में अयोध्या को भागीदारी मिल सकती है।
इसी तरह पश्चिम में बड़ी संख्या होने और भाजपा में इस बिरादरी के पांच विधायक व एक एमएलसी होने के बावजूद गुर्जर बिरादरी को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। किसी न किसी को मंत्री बनाकर गुर्जरों की नाराजगी दूर करने की कोशिश हो सकती है।पश्चिम में दलित समाज में जाटव की सबसे ज्यादा आबादी और भाजपा के कई विधायकों के इस समाज से होने के नाते इनमें से भी किसी को जगह दी जा सकती है। मंत्रिमंडल में दलित वर्ग से पांच मंत्री हैं, पर इनमें एक भी जाटव नहीं है। सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही भाजपा की तरफ से मंत्रिमंडल में दलित चेहरों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना तय है।

एससी-एसटी एक्ट का असर

वैसे तो मंत्रिमंडल में ब्राह्मण और ठाकुरों के साथ वैश्य, भूमिहार, खत्री और कायस्थ प्रतिनिधित्व आनुपातिक रूप से ठीक है, लेकिन एससी-एसटी एक्ट पर मुखर हुई नाराजगी को देखते हुए ब्राह्मण और क्षत्रियों को महत्व देने का संदेश दिया जा सकता है। अभी मंत्रिमंडल में 8 ठाकुर, 7 ब्राह्मण, 4 वैश्य, 2 भूमिहार, 3 खत्री और 1 कायस्थ शामिल हैं।
मंत्रिमंडल में 15 पिछड़े चेहरे शामिल हैं, पर इस एक्ट के चलते और सपा व बसपा के संभावित गठबंधन की काट के लिए कुछ और पिछड़े चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिल सकता है। आगरा जिले से किसी विधायक को प्रतिनिधित्व मिल सकता है।पश्चिम में कई सीटों पर कश्यप बिरादरी की अच्छी तादाद देखते हुए इस बिरादरी को भी मौका दिया जा सकता है। अति पिछड़ों में मुजफ्फरनगर जिले के विजय कश्यप, बांदा के बृजेश प्रजापति समेत कई नामों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

घट-बढ़ सकता है इन मंत्रियों का कद

स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री डॉ. महेंद्र सिंह, स्वतंत्र देव सिंह, सुरेश राणा, भूपेंद्र चौधरी का कद बढ़ाया जा सकता है। कानून मंत्री ब्रजेश पाठक को कुछ और महत्वपूर्ण विभाग सौंपने की चर्चा है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की भी जिम्मेदारी बढ़ाई जा सकती है। पर, अभी महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी उठा रहे पश्चिम के एक काबीना मंत्री का कद छांटा जा सकता है।
अवध और बुंदेलखंड के एक-एक मंत्री के पर छांटा जाना भी लगभग तय माना जा रहा है। श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को कुछ और महत्वपूर्ण विभाग सौंपकर मिशन 2019 के मद्देनजर समीकरणों को दुरुस्त करने की कोशिश की जा सकती है।पश्चिम से भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पहले भाजपा सरकारों में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके वीरेंद्र सिरोही और पूर्वांचल से दीनानाथ भाष्कर को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

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