शीतला अष्टमी पर इसलिए लगता है बासी खाने का भोग

हिंदू पंचांग के अनुसार होली के 8 दिन बाद शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे बासोड़ा या बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व माना गया है। शीतला अष्टमी के दिन मुख्य रूप से माता शीतला की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही इस तिथि पर देवी को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं इसका कारण और महत्व।

इसलिए खास है बासोड़ा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला माता को बासी भोजन काफी प्रिय है। इसके साथ यह भी माना गया है कि शीतला अष्टमी पर देवी शीतला की विधि-विधान करने और बासी खाने का भोग लगाने से चेचक, खसरा आदि रोगों से राहत मिल सकती है।

जानिए वैज्ञानिक महत्व
शीतला अष्टमी का धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी माना गया है। इसके अनुसार, यह पर्व ऐसे समय पर मनाया जाता है, जब शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय होता है। ऐसे में यह समय दो ऋतुओं के संधिकाल का समय होता है।

इस दौरान खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है, वरना स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। माना जाता है कि इस मौसम में ठंडा खाना खाने से पाचन तंत्र अच्छा बना रहता है। ऐसे में जो लोग शीतला अष्टमी पर ठंडा खाना खाते हैं, वह लोग इस मौसम में होने वाली बीमारियों से बचे रहते हैं।

कैसे मनाया जाता है यह पर्व
बासोड़ा पर्व की परम्परा के अनुसार, इस दिन घरों में भोजन पकाने के लिए अग्नि का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसलिए बासोड़ा से एक दिन पहले भोजन जैसे मीठे चावल, राबड़ी, पुए, हलवा, रोटी आदि पकवान तैयार कर लिए जाते हैं और अगले दिन सुबह बासी भोजन ही देवी शीतला को चढ़ाया जाता है। इसके बाद इसी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

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