अरे बाप रे! -62 डिग्री तापमान में स्कूल जा रहे बच्चे, मोटे कपड़ों में लिपटे रहने को मजबूर
सर्दी के महीनों में दिल्ली-एनसीआर समेत भारत के किसी भी शहर में तापमान जैसे ही 10 से 15 डिग्री के आसपास गिर जाता है, तो हर पेरेंट्स चाहते हैं कि स्कूलों में छुट्टी हो जाए. वे अपने बच्चों को ठंड के इस मौसम में स्कूल नहीं भेजना चाहते. उन्हें बर्फीली हवाओं से हर हाल में बचाना चाहते हैं. लेकिन दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां बच्चे -62 डिग्री तापमान में स्कूल जा रहे हैं. जी हां, -62 डिग्री तापमान में… उन्हें हर पल मोटे कपड़ों में लिपटे रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.
मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी साइबेरिया के याकुत्स्क शहर में इन दिनों यही हालत है. वहां स्कूल खुले हैं और बच्चों को बर्फीली हवाओं के बीच स्कूल जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. याकुत्स्क को दुनिया का सबसे ठंडा शहर माना जाता है. यह आर्कटिक सर्कल से लगभग 280 मील दक्षिण में है. सामान्य तौर पर सर्दियों में याकुत्स्क में तापमान -50C तक पहुंच जाता है. लेकिन हाड़ कंपा देने वाली यह ठंड यहां के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं. यहां सबसे कम तापमान -64.4C दर्ज किया जा चुका है.
याकुत्स्क शहर की जनसंख्या लाखों
अगर आप ये सोच रहे होंगे कि इस जगह पर बेहद कम लोग रहते हैं, तो बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. याकुत्स्क शहर की जनसंख्या 355,443 है. जो ब्रिटेन के लीसेस्टर शहर के आसापास है. लेकिन ठंड की वजह से यहां के निवासियों को पूरे वर्ष मोटे कपड़ों में लिपटे रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है. आप ये जानकर और भी हैरान हो जाएंगे कि इतनी ठंड होने के बावजूद यहां के लोग नहाना नहीं भूलते. पिछले साल 19 जनवरी को एएफपी ने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें याकुत्स्क के निवासियों को लेना नदी के बर्फीले ठंडे पानी में डुबकी लगाते हुए दिखाया गया था. यह दिन रूस में जॉन द बैपटिस्ट द्वारा यीशु के बपतिस्मा की याद में मनाया जाता है.
किंगडम ऑफ कोल्ड के नाम से मशहूर
याकुत्स्क शहर को रूस के किंगडम ऑफ कोल्ड के नाम से भी जाना जाता है. इस इलाके में हीरे, सोना, यूरेनियम और अन्य खनिज संसाधन प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं. यह एक जमी हुई बंजर भूमि है. लेकिन यहां सुपरमार्केट , होटल, कॉफी शॉप और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली आपको देखने को मिलेगी. thetravel.com की रिपोर्ट के अनुसार, शाम को लोग बीयर पीने के लिए स्थानीय बार या नाइट क्लबों की ओर जाते हैं. पीने के पानी के लिए नदी की ओर जाते हैं. वहां बर्फ के एक टुकड़े को काटते हैं, इसे घर लाते हैं और पिघलाते हैं. यही पीने के काम आता है. यहां आप लगभग हर घर की खिड़कियों से फल और मांस लटकाते हुए देख सकते हैं.