ब्लड कैंसर: एक नहीं कई प्रकार का होता है ब्लड कैंसर, ऐसे करे पहचान

ब्लड कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसका वक्त रहते इलाज करवाने से बचाव की संभावना बढ़ जाती है। ब्लड कैंसर रक्त कोशिकाओं में बदलाव की वजह से होता है। रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई करते हैं और बीमारियों से बचाव करने में मदद करते हैं। लेकिन इनमें असमान्यता ब्लड कैंसर का कारण बनता है। डॉक्टर से जानें ब्लड कैंसर के अलग-अलग प्रकार।

ब्लड कैंसर एक बेहद ही खतरनाक बीमारी है, जिससे दुनिया में कई लोग पीड़ित हैं। हालांकि, ब्लड कैंसर की वजह क्या है, इसके कितने प्रकार हैं, इन सभी बातों के बारे में लोगों में जानकारी कम है। अगर आपको भी इस बारे में अधिक नहीं पता, तो चिंता मत करिए इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए, हमने फॉर्टिस हॉस्पिटल के हीमाटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के मुख्य निर्देशक डॉ. राहुल भारगव से बात की। आइए जानते हैं कि इस बारे में उनका क्या कहना है।

डॉ. भारगव नें हमें बताया कि ब्लड कैंसर कई रोगों का समूह है, जिसमें कोशिकाओं में अनियंत्रित बढ़ोतरी होती है। यह एक नहीं कई प्रकार के होते हैं। ज्यादातर ब्लड कैंसर के मामले जैसे ल्युकीमिया, लिंफोमा और मायलोमा, व्हाइट ब्लड सेल्स में असमान्य बदलाव की वजह से होते हैं। पिछले दशक में ल्युकीमिया के बारे में बेहतर तरीके से समझने के लिए मॉर्फोलॉजी से लेकर जिनोमिक्स तक का इस्तेमाल किया गया, जिसकी सहायता से इंसानों के शरीर और जीनोम के बारे में बेहतर तरीके से समझने में काफी मदद मिली है।

ल्युकीमिया के दो प्रकार होते हैं, एक एक्यूट ल्युकीमिया और दूसरा क्रॉनिक ल्युकीमिया। अगर ल्युकीमिया की वजह से मायलॉयड कंपार्टमेंट प्रभावित होते हैं, तो उसे एक्यूट मायलॉयड ल्युकीमिया कहते हैं और जब लिंफॉइड पर असर पड़ता है, तो इसे लिंफोब्लास्टिक ल्युकीमिया कहा जाता है।

सफेद रक्त कोशिकाएं लिम्फोइड टिशू में रहती हैं, जिन्हें लिम्फनोड कहा जाता है। ये व्हाइट ब्लड सेल्स हमारे शरीर के आरक्षित सैनिक होते हैं यानी बीमारियों से रक्षा करने में हमारी मदद करते हैं। इनमें कोई भी असामान्यता 35 प्रकार के बी और टी सेल लिंफोमा को जन्म देती है। जब सफेद रक्त कोशिकाएं परिपक्व हो जाती हैं, जिन्हें प्लाजमा सेल्स भी कहा जाता है, कभी खत्म नहीं होती और मल्टीपल मायलोमा नामक बीमारी को जन्म देती हैं, जो हड्डियों, किडनी को प्रभावित करती हैं और इस वजह से हीमोग्लोबिन की कमी भी हो सकती है। अब इसे जीनोमिक्स के आधार पर अलग-अलग समूहों में बांटा जा सकता है, जिसकी मदद से इसके लिए बेहतर इलाज तय किया जा सकता है।

इसके अलावा, जब स्टेम सेल्स प्रभावित होती हैं और असमान्य कोशिकाओं को जन्म देने लगती हैं, तो उसे मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम कहते हैं। जब यह कोशिकाएं बनाना बंद कर देती हैं, उसे एप्लास्टिक एनीमिया कहा जाता है। ब्लड कैंसर एक मल्टीफैस्टेड डिस्ऑर्डर है यानी इसके कई फेज होते हैं, जो ब्लड काउंट के आधार पर तय होता है। इसका डायग्नॉसिस बोन मैरो से किया जाता है, और इसे जिनोमिक्स के आधार पर इसका निर्धारण किया जाता है।

आमतौर पर, सामान्य किस्म के कैंसर की अलग-अलग स्टेज होती हैं लेकिन लिंफोमा ब्लड कैंसर में ऐसे चरण (स्टेज) नहीं होते बल्कि यह साइटोजेनेटिक या जेनेटिक म्युटेशन के आधार पर गंभीर या अत्यधिक गंभीर हो सकता है। पिछले 30 वर्षों में, इलाज के स्तर पर काफी हद तक स्थितियां बदली हैं और यह घातक की बजाय ऐसा रोग माना जाने लगा है जिसका उपचार संभव है।

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