रिश्ते को बचाने के लिए झूठ बोलें या कड़वा सच? जानिए दोनों का असर

किसी भी रिश्ते में आप यही चाहती हैं कि दूसरा खुश रहे और उसकी भावनाएं आहत न हों, फिर चाहे झूठ ही क्यों न बोलना पड़े। लेकिन क्या यह सही है? सच्चाई हर रिश्ते का महत्वपूर्ण आधार होती है और हर कोई चाहता है कि उनका पार्टनर उससे सच्चा रहे। लेकिन अध्ययन बताते हैं कि बहुत से लोग रिश्तों को ठीक रखने के लिए कभी-कभी झूठ बोलते हैं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, लोग अक्सर इसलिए झूठ बोलते हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि उनके साथी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। यह झूठ बोलने के पीछे एक प्रकार की सुरक्षा और संरक्षण की भावना होती है, जिसका मकसद होता है रिश्तों को मजबूत और खुशहाल बनाना। मनोवैज्ञानिक रॉबिन डनबर ने भी बताया है कि झूठ बोलने से भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती, जिससे रिश्तों को स्थिर और मधुर बनाए रखने में मदद मिलती है। लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि झूठ नकारात्मक प्रभाव डालने वाला न हो और सच्चाई को हमेशा महत्वपूर्ण रखा जाए।

क्या होते हैं कारण

सफल और स्वस्थ रिश्ते के लिए सही संवाद महत्वपूर्ण है। जब लोग अपनी भावनाओं, खुशियों और चुनौतियों को साझा नहीं करते तो संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है। परिणामत: लोग समस्याओं को हल करने के लिए सही समय पर काम नहीं करते, जो रिश्ते को जटिल बना सकता है। एक सफल रिश्ते में विश्वास होना बेहद महत्वपूर्ण है। जब किसी के मन में साथी पर संदेह होता है तो रिश्ते कमजोर होने लगते हैं। इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो सकता है और वह साथी से चीजें छुपाने लगता है।

कई बार लोग सोचते हैं कि साथी को हमेशा खुश रखें, इसके लिए वे झूठ बोलते हैं, ताकि साथी की भावनाएं आहत न हों, लेकिन इससे सच्चाई और झूठ के बीच संतुलन बिगड़ सकता है। रिश्ते में संवाद कौशल के महत्व को भी नहीं छोड़ा जा सकता। यदि किसी के पास सही संवाद कौशल नहीं है तो वह भावनाओं और खुशियों को साझा करने का सही तरीका नहीं जानेगा, जो संघर्ष का कारण भी बन सकता है।

क्या पड़ता है असर

झूठ बोलने का कोई भी कारण, फिर चाहे वह साथी की खुशी के लिए ही क्यों न हो, रिश्ते पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। मसलन, झूठ बोलने से रिश्तों में विश्वास की कमी हो सकती है। जब साथी को पता चलता है कि आप उससे झूठ बोल रही हैं तो उसमें आपके प्रति अविश्वास की भावना बढ़ती है। जब आपसी विवादों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है, तब साथी झूठ का सहारा लेते हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि इससे कई अन्य विवादों को रोका जा सकता है। लेकिन झूठ बोलने से विश्वास को पुन: प्राप्त करना कठिन हो सकता है। झूठ के बाद रिश्तों में अधिक तनाव और जलन हो सकती है, जो संघर्ष को बढ़ा सकती है।

सच तो हीरे जैसा होता है

फैमिली रिलेशनशिप काउंसलर शोभना कहती हैं, किसी भी संबंध में सत्य आपको पारदर्शी बनाता है। कोई भी संबंध सच के बिना चल नहीं सकता। लोक मानस में प्रचलित है कि सच कड़वा होता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि जो कड़वा हो वही सच है। सच तो एक हीरा है, जो तराशने पर और सुंदर हो जाता हैं। रिश्तों को ठीक ढंग से चलाने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है जैसे, संवाद में खुलापन होना, खुल कर बातचीत करके एक-दूसरे को अपने दिल की बात बताना और इसके अलावा समय पर बातचीत करके समस्याओं को जल्दी समझ कर समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए। इन सब में सबसे जरूरी है बात है कि आप एक-दूसरे के प्रति विश्वास और सहयोग बनाए रखें और अपने पार्टनर का हमेशा सहयोग करें।

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