जानिए हंसाने के साथ भला रोना भी क्यों जरुरी है…

हर कोई जानता है कि खुलकर हंसना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। लेकिन एक बात यह भी जान लीजिए कि जिस तरह हंसना सेहत के लिए फायदेमंद है, उसी तरह फूट-फूटकर रोना भी बेहद जरूरी है। रोना भी आपकी सेहत को उतना ही फायदा देता है, जितना हंसना। हंसने और रोने से होने वाले फायदों के बारे में बता रही हैं आशाश्री

पहले बात करते हैं हंसने की, क्योंकि माना जाता है कि जिसके जीवन में हंसी है उसी के जीवन में खुशी है। हालांकि आपकी एक मुस्कुराहट सिर्फ खुशी का सिंबल नहीं है, बल्कि इससे आपको भी कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। बात सेहत को अच्छा बनाए रखने की हो, तो फिर हर कोई अपनी मुस्कुराहट को बरकरार रखना चाहेगा। हंसी से सबसे बड़ा फायदा है कि इससे टेंशन पल भर में दूर हो जाती है। वैसे भी आज की भागती-दौड़ती लाइफ में हर किसी के जीवन में चिंता और तनाव घर कर चुका है। ऐसे में आपकी हंसी इस समस्या को हल कर सकती है। हंसने से हमारे शरीर में एंडोफिन केमिकल बनता है, जो चिंता और तनाव को कम करने में मदद करता है।

इसके अलावा हंसने से चेहरे की एक्सरसाइज हो जाती है और आपका दिमाग भी ऐक्टिव रहता है। इसके साथ ही इंसान के शरीर को जीने के लिए ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती है। ऐसे में अगर आपका फेस स्माइली है, तो आपके हंसने मात्र से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे आपके फेफड़े और मसल्स काफी अच्छे से काम करते हैं। इतना ही नहीं, आपकी मुस्कुराहट रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। अगर आप लाइफ में मुस्कुराहट को जगह देते हैं, तो ऐसे में आपकी बॉडी में व्हाइट ब्लड सेल्स की बढ़ोतरी होती है। व्हाइट सेल्स रोगों से लडऩे में हमारी मदद करते हैं।

हंसना तो सेहत के लिए फायदेमंद होता ही है, लेकिन कोई यह नहीं कहता कि रोना भी फिट रहने के लिए बेहद जरूरी है। अक्सर जब कोई रोता है, तो उसे पसंद नहीं किया जाता और रोने से रोक दिया जाता है। लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी के मुताबिक, जिस तरह से पसीना और यूरिन के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, वैसे ही आंसू आने से भी होता है। एक अध्ययन के अनुसार, स्ट्रेस की वजह से रोना और आंखों में परेशानी की वजह से पानी आने में अंतर है। जब हम रोते हैं तो शरीर से एड्रेनोकाटकोट्रोपिक और ल्यूसीन नामक स्ट्रेस हॉर्मोन निकलते हैं, लेकिन आंखों से पानी आने से ऐसा कुछ नहीं होता।

आंसू आंखों में मेमब्रेन को सूखने नहीं देते। इसके सूखने की वजह से आंखों की रोशनी में फर्क पड़ता है, जिससे लोगों को कम दिखना शुरू हो जाता है। मेमब्रेन सही बना रहता है, तो आंखों की रोशनी लंबे समय तक ठीक बनी रहती है। आंसुओं में लाइसोजाइम नामक तत्व पाया जाता है, जो बाहरी बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होता है। इससे आंखों में इंफेक्शन नहीं होता और आंखें हेल्दी बनी रहती हैं। यह तत्व तभी आंखों से निकलता है, जब आप रोते हैं।

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