वो 40 साल पुराना विमान हादसा, जब एक चूक से 24 यात्रियों ने गंवाई जान

हमने और आपने आजतक कई विमान दुर्घटनाओं को देखा है और ऐसे कई दुर्घटनाओं के बारे में सुना है जिसमें कई लोगों की जान चली गई। आजतक हमनें जितनी भी विमान दुर्घटनाओं के बारे में सुना है वो या तो खराब मौसम के कारण या किसी तकनीकी खामियों के कारण ही हुई है। लेकिन आज से ठीक 40 साल पहले एक ऐसी विमान दुर्घटना का विश्व साक्षी बना जिसमें विमान को जानबूझकर दुर्घटनाग्रस्त किया गया।

आपको सुनकर यह अजीब तो लग सकता है लेकिन जांच में यही सच्चाई निकल कर सामने आई। जिस घटना की हम बात कर रहे हैं वो है जापान की। जब साल 1982 में 9 फ़रवरी को जापान एयरलाइंस की उड़ान 350 का दर्दनाक रूप से टोक्यो की खाड़ी में दुर्घटना हो गया। जिसके परिणामस्वरूप 24 लोगों की मौत हो गई।

क्यों हुआ था जापान एयरलाइंस दुर्घटनाग्रस्त?

9 फरवरी को जापान एयरलाइंस की उड़ान 350 उस वक्त दुर्घटनाग्रस्त हुई जब यह विमान देश के सबसे बड़े शहरों में से एक फुकुओका और राजधानी टोक्यो के बीच एक निर्धारित घरेलू यात्री उड़ान भर रहा था। यह विमान डगलस डीसी-8 (जिसे मैकडॉनेल डगलस डीसी-8) भी कहा जाता था। यह अमेरिकी डगलस एयरक्राफ्ट कंपनी द्वारा डिजाइन और निर्मित एक लंबी दूरी की नैरो-बॉडी जेटलाइनर थी। यह डगलस डीसी-8 जेट की पहली घातक दुर्घटना थी। जब यह दुर्घटना हुई उसके बाद जापानी वायु सुरक्षा अधिकारियों द्वारा एक जांच की गई थी। इस जांच में दुर्घटना का कारण कप्तान द्वारा जानबूझकर की गई कार्रवाई को करने के बारे में कहा गया।

क्यों यह दुर्घटना बना इतिहास का दर्दनाक विमान हादसा

आपको बता दें कि वैसे तो यह विमान हादसा किसी भी तरह से इतिहास में सबसे घातक या फिर दशक की सबसे उल्लेखनीय विमान हादसा तो नहीं थी, लेकिन इस हादसा के पीछे कुछ कारण ऐसे निकले जो इस विमान हादसा को सबसे दुखद दुर्घटना बनाती है। आखिर क्या है इस हादसे की पूरी कहानी और कैसे यह विमान दुर्घटना का शिकार हुआ तो चलिए जानते हैं 1982 के उस हादसे के बारे में विस्तार से…इस लेख में हम जापान एयरलाइंस फ्लाइट 350 की कहानी पर नजर डालेंगे और साथ ही आपको कई विमान दुर्घटनाओं के बारे में बताएंगे जो अबतक नहीं सुलझे हैं।

कुछ ऐसे हुआ था जापान एयरलाइंस हादसे का शिकार…

  • जापान एयरलाइंस फ्लाइट 350 ने फुकुओका हवाई अड्डे (FUK) से टोक्यो-हानेडा हवाई अड्डे (HND) तक एक घरेलू सेवा संचालित की, जो दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक पारगमन केंद्रों में से एक है। डगलस DC-8 एयरलाइनर (जो उड़ान का संचालन कर रहा था) उसका पंजीकरण JA8061 था। इस उड़ान में 166 यात्री और चालक दल के आठ सदस्य सवार थे। यह विमान ने पहली बार 1967 में आसमान में उड़ान भरी थी और दुर्घटना के समय इसने लगभग 37,000 घंटे की उड़ान भरी थी।
  • जापान एयरलाइंस फ्लाइट का यह उड़ान जैसे ही टेक ऑफ किया वैसे ही यह विमान 29,000 फीट की ऊंचाई पर चला गया। वहीं, 08:22 पर, इसने टोक्यो में उतरना शुरू किया। एक बार जब विमान 3,000 फीट नीचे आ गया, तो चालक दल को हनेडा हवाई अड्डे पर रनवे 33R पर ILS अप्रोच करने की मंजूरी दे दी गई।
  • जिस क्षेत्र में विमान उड़ा रहा था उस क्षेत्र की सह-पायलट ने कैप्टन को ऊंचाई बताई। हालांकि, एयरलाइन की मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के विपरीत, कैप्टन जवाब देने में विफल रहे। न ही उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि विमान अपने फाइनल अप्रोच पर “स्थिर” था। जो उस वक्त के एसओपी की एक जरूरत भी थी।
  • वहीं, सह-पायलट ने कप्तान को चेतावनी दी कि वे निर्णय की ऊंचाई (निर्णय ऊंचाई (Decision Height) को जमीनी स्तर से ऊपर मापा जाता है) पर पहुंच रहे हैं। यह एक पूर्व-निर्धारित ऊंचाई है जहां उड़ान भरने वाले पायलट को यह तय करना होता है कि लैंडिंग को जारी रखना है या मिस्ड अप्रोच करना है या जिसे पायलट आमतौर पर “चारों ओर घूमना” कहते हैं। छह सेकंड बाद विमान 200 फीट ऊपर से गुज़रा, और रेडियो अल्टीमीटर चेतावनी सुनाई दी। फ़्लाइट इंजीनियर ने यह भी कहा कि कैप्टन की प्रतिक्रिया के बिना विमान निर्णय ऊंचाई पर पहुंच गया था।
  • एविएशन सेफ्टी नेटवर्क के अनुसार, अचानक से बिना किसी पूर्व चेतावनी के ही कैप्टन ने ऑटोपायलट को रद्द कर दिया और थ्रॉटल को वापस खींच लिया और अपने नियंत्रण कॉलम को पूरी तरह से आगे बढ़ा दिया। जिसके बाद, सह-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर ने कप्तान को रोकने और विमान पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास किया। हालांकि, कई प्रयासों के बावजूद, विमान रनवे 33R की से केवल 510 मीटर दूर टोक्यो खाड़ी के पानी में चला गया।
  • पानी जाते ही विमान का अगला भाग (उड़ान डेक और आगे के यात्री केबिन सहित) और विमान का राइट विंग विमान से अलग हो गए। दुर्घटना में चौबीस यात्रियों की जान चली गई।
  • इस हादसे को लेकर यह बताया गया की हादसे के बाद जब बचाव के लिए टोक्यो की खाड़ी में नाव आया तो सबसे पहले विमान के कैप्टन ही नाव में जाकर बैठ गया और वह भी अपनी पहचान को छुपाकर वह नाव में बैठ गया। बाद में यह पता चला कि उसने बचावकर्ताओं को बताया कि वह एक निजी कंपनी का कर्मचारी था। साथ ही उड़ान चालक दल में से एक के रूप में पहचाने जाने से बचने के लिए उसने कथित तौर पर अपनी वर्दी भी उतार दी थी।
  • जब जांच हुआ तो पाया गया कि कैप्टन साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित था। यहां तक कि नवंबर 1980 से नवंबर 1981 तक उड़ान भरने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। आपको यह भी बता दें कि यह दुर्भाग्यपूर्ण उड़ान 350 की कमान संभालने से सिर्फ दो महीने पहले की बात है। इसके परिणामस्वरूप कैप्टन को जेल नहीं हुई थी, पूर्व कप्तान को मनोरोग देखभाल में रखा गया था।

पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं

ऐसा कहा जाता है की यह हादसा इकलौता हादसा नहीं है। जिसमें जानबूझकर विमान चालक दल ने किसी विमान का हादसा करवाया हो। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हुई है जिसमें उड़ान चालक दल के सदस्य ने जानबूझकर अपने विमान को दुर्घटनाग्रस्त कराया है जिसका संदेह जताया जाता है। विशेष रूप से, इनमें निम्नलिखित घटनाएं शामिल हैं:-

  • रॉयल एयर मैरोक फ्लाइट 630 (21 अगस्त, 1994)
  • सिल्क एयर फ्लाइट 185 (19 दिसंबर, 1997)
  • इजिप्टएयर फ्लाइट 990 (31 अक्टूबर, 1999)
  • जर्मनविंग्स फ्लाइट 9525 (24 मार्च, 2015)
  • एलएएम मोज़ाम्बिक एयरलाइंस की उड़ान 470 (29 नवंबर, 2015)
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