जानिए आखिर क्या है अटलांटिक डाइट और इसे फॉलो करने के फायदे?

जो लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं, वे हेल्दी रहने के लिए हर तरीके आजमाने की कोशिश करते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले। वैसे भी हर व्यक्ति के लिए वर्कआउट हो या डाइट, हर तरीके से खुद को फिट रखना प्राथमिकता होनी चाहिए। वर्कआउट तो फिर भी दिन में एक से दो घंटे जिम या पार्क जा कर फॉलो कर लेते हैं, लेकिन डाइट के लिए सुबह से शाम तक एक स्वस्थ डाइट को फॉलो करना आसान नहीं होता।

आपने कीटो डाइट, इंटरमिटेन्ट डाइट, मेडिटेरेरियन डाइट आदि के बारे में अक्सर सुना होगा। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसी ही एक नई डाइट के बारे में जिसे अटलांटिक डाइट के नाम से जाना जाता है।

क्या है अटलांटिक डाइट?
अटलांटिक डाइट उत्तरी पुर्तगाल और उत्तर दक्षिण स्पेनिश कम्युनिटी से प्रेरित है। यह मेडिटेरेनियन डाइट के परिवार की ही है, जिसमें बहुत सारे फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज और सी फूड शामिल होते हैं। लेकिन इनमें कुछ अंतर भी हैं। अटलांटिक डाइट में अधिक डेयरी, अधिक स्टार्ची कार्बोहाइड्रेट जैसे आलू और ब्रेड आदि शामिल होते हैं। यह लोकल, बिना प्रोसेस किए हुए डाइट पर फोकस करती है। इसका कुकिंग मैथड भी साधारण है जैसे ग्रिलिंग, बेकिंग आदि जो कि हेल्थी लाइफस्टाइल को प्रमोट करता है।

जहां स्वस्थ रहने के लिए तरह-तरह के तरीके हर दिन इजाद हो रहे हैं, वहीं डायटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट इस बात का भी ख्याल रखने में दिलचस्पी दिखाते हैं कि हमारा खाना वातावरण के लिए खतरा न बने।

अटलांटिक डाइट फॉलो करने के 5 मुख्य फायदे
यह बैड कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है
यह बेली फैट को कम करता है और मोटापा दूर करता है
यह हेल्दी एजिंग को प्रमोट करता है
यह कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से बचाव करता है
यह डिप्रेशन कम करता है

कैसे काम करती है अटलांटिक डाइट?
अधिक फिश, दाल, साबुत अनाज और सब्जियों का सेवन करने से सी-रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल कम हो जाता है जिससे संक्रमण कम होता है।
सी-फूड या फिश में ओमेगा-थ्री फैटी एसिड पाया जाता है, जो कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से बचाव करता है।
साबुत अनाज, फल, सब्ज़ी, दाल, नट्स आदि में पर्याप्त मात्रा में फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो संपूर्ण सेहत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, एजिंग धीमा करता है और बैड कॉलेस्ट्रॉल कम करता है।
प्लांट बेस्ड फूड में पोटेशियम और मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है जिससे ये ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है।

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