मथुरा में होली पर खूब उड़ा अबीर गुलाल, कोना कोना हुआ इन्द्रधनुषी

बांके बिहारी लाल की नगरी मथुरा में होली के मौके पर अबीर गुलाल की इस कदर आंधी चली कि ब्रज का कोना कोना इंद्रधनुषी बन गया। बल्देव में राऊ जी मन्दिर के प्रांगण में सोमवार को दहनावर का आयोजन किया गया। दहनावर में कल्याणदेव परिवार की हर आयु वर्ग की बहुएं कई घंटे तक नृत्य कर रही थीं। चाट के व्यंजनों में ठाकुर के लिए गोलगप्पे, कांजी बड़ा, दही बड़ा, आलू की टिकिया, पकौड़ी, मूंग की दाल का चीला आदि तैयार किये गए थे। जिनका भोग बांकेबिहारी को लगाया गया था।

मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर में होली पर भक्तों ने ठाकुर के साथ दो घंटे तक जमकर होली खेली। मन्दिर के गर्भगृह में पहले श्यामाश्याम ने होली खेली तथा बाद में मन्दिर के पुजारी ने जगमोहन से सोने और चांदी की पिचकारी से यही रंग श्रद्धालुओं पर डाला तो वे भाव विभोर हो गए। मन्दिर के जनसंपर्क अधिकारी राकेश तिवारी ने बताया कि रंग खेलने के कारण लला ने विश्राम नहीं किया इसलिए मन्दिर शाम साढ़े चार बजे ही बंद हो गया। वृन्दावन के बांकेबिहारी मन्दिर और सप्त देवालयों में रविवार को शयन के दर्शन के बाद रंग का चलना बंद हो गया था।

बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत ज्ञानेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि मंदिर के बाहर तीर्थयात्रियों ने जमकर होली खेली तथा मथुरा के रसिया पर नृत्य भी किया। ठाकुर ने होली पर बालभोग में मूंग की दाल का हलुवा और एक विशेष प्रकार का व्यंजन अघौटा खाया। वहीं दोपहर बाद उन्होंने चाट का आनन्द लिया। चाट के व्यंजनों में ठाकुर के लिए गोलगप्पे, कांजी बड़ा , दही बड़ा, आलू की टिकिया, पकौड़ी, मूंग की दाल का चीला आदि तैयार किये गए थे। शुचिता के लिए मशहूर राधारमण मन्दिर में राजभोग के समय भक्तों पर प्रसाद स्वरूप रंग गुलाल डाला गया और उनमें जलेबी का प्रसाद वितरित किया गया।

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