जम्मू-कश्मीर में लोस की सीटें पांच ही, पर समीकरण बदले

अनुच्छेद-370 हटने के बाद पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर पर देश-दुनिया की निगाहें टिकीं हैं। चुनाव की रणभेरी बजने से पहले 16 दिन के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दौरों ने सियासी गर्माहट बढ़ा दी है। यहां इस बार लोकसभा का चुनाव कई मायनों में अलग है। 

बीते पांच सालों के दौरान जम्मू-कश्मीर के नक्शे के साथ सियासी तस्वीर भी पूरी तरह बदल गई है। जम्मू-कश्मीर से लद्दाख अलग हो चुका है। परिसीमन के बाद संसदीय क्षेत्रों में भी बदलाव हो गया है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की सीटें पांच ही हैं, लेकिन समीकरण बदल गए हैं। पहले कश्मीर में लोकसभा की तीन सीटें थीं और जम्मू संभाग में दो। अब जम्मू और कश्मीर में दो-दो सीटें पूरी हैं, जबकि दोनों संभागों के इलाकों को मिलाकर राजोरी-अनंतनाग नया संसदीय क्षेत्र बना दिया गया है। सत्ता संतुलन साधने के मद्देनजर बनीं इस नई सीट पर ही राजनीतिक पंडितों की खास नजर है।

जम्मू सीट पर मुस्लिम मतों का प्रभाव कम 
जम्मू सीट से राजोरी व पुंछ जिले को हटा दिया गया है। उधमपुर सीट से रियासी जिले को हटाकर जम्मू में जोड़ दिया है। ऐसे में जम्मू सीट पर मुस्लिम मतों का प्रभाव कम हुआ है। बारामुला व श्रीनगर सीट पर भी फेरबदल किया गया है। पहले बारामुला सीट में उत्तरी कश्मीर के तीन जिले बारामुला, बांदीपोरा व कुपवाड़ा आते थे, अब इसमें बडगाम के भी दो विधानसभा हलके जोड़ दिए गए हैं। श्रीनगर सीट पर इस बार दक्षिण कश्मीर के पुलवामा व शोपियां जिले के पांच विधानसभा हलकों को जोड़ा गया है। पहले मध्य कश्मीर के श्रीनगर, गांदरबल व बडगाम ही इस संसदीय क्षेत्र में शामिल थे।

राजोरी-अनंतनाग में यह बदली स्थिति
पहले लोकसभा की अनंतनाग सीट पर कश्मीरियों का ही वर्चस्व था। अब राजोरी-अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में राजोरी-पुंछ के सात विधानसभा हलकों के लगभग साढ़े सात लाख वोटर शामिल किए गए हैं। इनमें हिंदुओं के अलावा पहाड़ी और गुज्जर-बकरवाल समुदाय के मतदाता बड़ी संख्या में हैं। पहाड़ी व गुज्जर-बकरवाल समुदाय को आरक्षण के बाद यहां सियासी समीकरण भी बदल गए हैं। इस सीट पर कश्मीर के 10.07 लाख वोटर हैं, जबकि जम्मू संभाग के 7.36 मतदाता। 

नेकां ने पीडीपी से किया किनारा जम्मू में कांग्रेस से मिला रही हाथ
2019 : जम्मू-कश्मीर में भाजपा, पीडीपी, कांग्रेस व नेकां ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। नेकां को कश्मीर की तीन और भाजपा को जम्मू की दो सीटें मिलीं।
2024 : भाजपा अलग चुनाव लड़ रही है। नेकां और कांग्रेस के बीच जम्मू में सीट शेयरिंग की बात चल रही है। नेकां ने पीडीपी के लिए कोई भी सीट छोड़ने से इन्कार कर दिया है। पीडीपी फिलहाल अकेले है। पीपुल्स कांफ्रेंस भी मैदान में है। आजाद की पार्टी से गुलाम नबी आजाद ने खुद चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। अपनी पार्टी भी चुनाव में उतरेगी।

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