2019 चुनाव के लिए राम की शरण में फिर पहुंची भाजपा, इस बार अयोध्या नहीं ओरछा में तैयार होगी रणनीति

मिशन 2019 की तैयारी में जुटी भाजपा एक बार फिर राम की शरण में है। हालांकि इस बार मंजिल वाया अयोध्या नहीं बल्कि ओरछा होकर है। वहां भगवान राम को ‘राम राजा सरकार’ के रूप में पूजा जाता है। मध्य प्रदेश पुलिस राम राजा को दिन में पांच बार सलामी देती है। भाजपा ने ओरछा में लगभग 200 विस्तारकों और पार्टी की नीति, निर्णय तथा रणनीति के अनुसार काम करने वाले क्षेत्र संगठन मंत्रियों का 14 व 15 फरवरी को दो दिन का शिविर आयोजित किया है।

2019 चुनाव के लिए राम की शरण में फिर पहुंची भाजपा, इस बार अयोध्या नहीं ओरछा में तैयार होगी रणनीतिभाजपा राम राजा के दरबार में माथा टेक कर और उनकी शरण में बैठकर आगे का रोडमैप तैयार करेगी। उधर, विश्व हिंदू परिषद एक संगठन के बैनर तले 13 फरवरी से अयोध्या से रामेश्वरम तक यात्रा निकालकर राम वन गमन मार्ग के सरोकारों से भाजपा के लिए सत्तावापसी का रास्ता आसान बनाएगी।

दरअसल, भाजपा के लिए बुंदेलखंड की मध्य प्रदेश से जुड़ी धरती काफी भाग्यशाली रही है। 2013 में भाजपा ने मिशन 2014 के लिए बुंदेलखंड को ही चुना था। चुनाव में कामयाबी के लिए चित्रकूट में कामतानाथ और कामद गिरि पर्वत की परिक्रमा करके भाजपा ने वनवास खत्म करने की कामना की थी।

वहां एक-एक विधायक और प्रमुख नेताओं को लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपकर चुनावी तैयारियों का श्रीगणेश किया गया था। मिशन 2017 की कामयाबी का रोडमैप बनाने के लिए भी भाजपा के प्रमुख नेता और कार्यसमिति के सदस्य 2016 में बुंदेलखंड के केंद्र स्थल झांसी में बैठे थे।

यह है महत्व

भगवान राम वनवास के दिनों में चित्रकूट और कामद गिरि पर्वत पर रुके थे। इस धरती ने भाजपा को भी आसरा और सहारा दिया है। भाजपा की कामना पूरी हुई और केन्द्र में सत्ता से वनवास समाप्त हो गया। ओरछा के निकट की धरती झांसी भी भाजपा के लिए शुभ साबित हुई और 2017 में यूपी की सत्ता से भाजपा का वनवास खत्म हो गया। शायद इसी संयोग को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने एक बार फिर ओरछा स्थित राम राजा सरकार की शरण में पहुंचने का फैसला किया है।

विस्तारकों को बताएंगे आगे का एजेंडा
भाजपा के रणनीतिकारों ने प्रदेश में सरकार बनने के तुरंत बाद मिशन 2019 पर काम शुरू कर दिया था। पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी कार्यक्रमों के बहाने लगभग 20 हजार कार्यकर्ताओं को बूथ-बूथ तक पहुंचाया गया। इसके बाद भाजपा से जुड़े लोगों के साथ संपर्क और संवाद के कई कार्यक्रम हुए।

उसी दौरान रणनीतिकारों को एहसास हुआ कि सत्ता में होने के बाद उनके पास कुछ ऐसे पूर्णकालिक कार्यकर्ता भी होने चाहिए जिनकी मदद से क्षेत्रों में लगाकर संपर्क और संवाद को जारी रखा जा सके। इसके लिए विस्तारक योजना बनी। इसकी कमान पार्टी के महामंत्री विजय बहादुर पाठक को सौंपी गई। अब तक लगभग 200 विस्तारक प्रशिक्षित किए जा चुके हैं।

दो-दो विस्तारकों को एक-एक लोकसभा क्षेत्र में रहकर मिशन 2019 की तैयारियों में जुटाया गया है। ओरछा में इन्हीं विस्तारकों को आगे के एजेंडे पर काम करने के तौर-तरीकों की जानकारी देने के लिए बुलाया गया है। बैठक में प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल तथा प्रदेश महामंत्री पाठक के साथ सभी संगठन मंत्री भी मौजूद रहेंगे।

राम मंदिर निर्माण के साथ गाय व गंगा की रक्षा पर भी बनाएंगे माहौल

भाजपा जहां ओरछा में मिशन 2019 की रणनीति बनाएगी तो 13 फरवरी को अयोध्या से सेतुबंध रामेश्वरम के लिए शुरू हो रही रामराज्य रथयात्रा के सहारे समीकरणों को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करेगी। वैसे अभी कार्यक्रम की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 13 फरवरी को अयोध्या स्थित कारसेवकपुरम पहुंचकर इस यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना कर सकते हैं।

लगभग डेढ़ महीने की यह यात्रा छह राज्यों से होकर गुजरेगी और 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। बीच में कई जगह सभाएं भी होंगी। सभाओं के जरिये अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण, रामराज्य की पुनर्स्थापना, राम मंदिर और रामायण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग होगी। लोगों से अभियान में शामिल होने का आग्रह किया जाएगा। गाय, गंगा और तीर्थों की सुरक्षा का आह्वान भी इस यात्रा में किया जाएगा।

माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिये भगवा टोली उत्तर से दक्षिण तक मंदिर मुद्दे पर माहौल बनाएगी। इसके पीछे लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां भी छिपी दिख रही हैं। हालांकि विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा इस यात्रा से सीधे कोई वास्ता होने से इन्कार करते हैं लेकिन वह स्वीकार करते हैं कि पिछले वर्ष नवंबर में कर्नाटक के उडुपी में धर्म संसद की बैठक में रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसायटी के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी शांतानंद महर्षि ने ऐसी यात्रा का उल्लेख किया था। साथ ही इसमें विहिप से सहयोग मांगा था। यह माना जाता है कि अगर कोई कार्यक्रम हिंदू समाज के सरोकारों से जुड़ा है तो विहिप उसमें सहयोग अवश्य देगी।

केरल से होकर गुजरेगी यात्रा

खास बात यह कि यह यात्रा केरल से होकर भी गुजरेगी। केरल इन दिनों भगवा टोली के एजेंडे में सबसे ऊपर है। वहां पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यात्रा हो चुकी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत केरल में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करके इसी तरह का संदेश दे चुके हैं। अयोध्या से शुरू होने वाली रथयात्रा में दक्षिण भारत के प्रमुख संत स्वामी कृष्णानंद सरस्वती भी रहेंगे।

यह यात्रा नंदीग्राम, वाराणसी, इलाहाबाद, चित्रकूट, छतरपुर, सागर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर, त्रयम्बेकश्वर, नारायणपुर,  विजयपुरा, किष्किन्धा, बेलारी, बंगलुरू, मैसूर, कन्नूर होते हुए 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। 25 मार्च को तिरुअनंतपुरम पहुंचकर समाप्त हो जाएगी। दूसरे चरण की यात्रा अगले साल शुरू होगी और रामनवमी पर अयोध्या पहुंचेगी। तीसरे चरण में यात्रा 2020 में कश्मीर से शुरू होकर कन्याकुमारी पहुंचेगी।

यह तैयारी भी करती है कुछ इशारा
भले ही विहिप प्रवक्ता सीधे इस यात्रा से जुड़े होने से इन्कार करें लेकिन जिस तरह की तैयारियां हैं उससे इसके निहितार्थ समझे जा सकते हैं। पिछले दिनों इसकी तैयारी में जुटे संत परागबुआ रामदासी मीडिया को बता चुके हैं कि यात्रा में श्रीराम मंदिर का एक माडल (अनुकृति) भी रहेगा। यात्रा के दौरान मंदिर निर्माण, रामायण और राममंदिर को स्कूली पुस्तकों का हिस्सा बनाने, हिंदू संस्कृति के अन्य सरोकारों को शामिल करने, साप्ताहिक अवकाश रविवार की जगह बृहस्पतिवार करने तथा विश्व हिंदू दिवस घोषित करने जैसे मुद्दों पर लगभग 10 लाख नागरिकों और 5 हजार संतों से हस्ताक्षर कराकर प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा।

यात्रा का दूसरा चरण 2019 के प्रारंभ में रामेश्वरम से शुरू होगा और उसका समापन रामनवमी को अयोध्या में होगा। यह तैयारी स्वत: बता देती है कि भले ही सामने कोई संगठन या चेहरा हो लेकिन सूत्रधार की भूमिका में भगवा टोली ही है।

 
 
Back to top button