10 हजार से अधिक किसानों के लिए पराली रोजगार का साधन: हरियाणा

पूरे देश में हरियाणा को पराली जलाकर प्रदूषण के लिए जिम्मेवार बताया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह नहीं है। हरियाणा में एक भी किसान पराली नहीं जलाता बल्कि पराली यहां के लोगों के कमाई का साधन है। अकेले कैथल में 10 हजार से अधिक किसानों के लिए पराली रोजगार का साधन बनी हुई है। लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करते हुए लोगों के घर चल रहे हैं। पिछले दस सालों में यह कारोबार खूब फला-फूला है।

कैथल, कलायत व पूंडरी हलका में सैकड़ों प्लांट लगे हुए हैं। जिसमें धान के सीजन में पराली एकत्रित करके उसे पूरे साल बंडल बनाकर, पैकिंग करते हुए, सूखा चारा बनाकर देश के करीब 15 से अधिक राज्यों में भेजा जा रहा है। आने वाले समय में इसकी कीमतें ओर बढ़ेंगी, क्योंकि कैथल व करनाल में एथॉनोल निकालने के प्लांट लगाए जा रहे हैं। करीब दस साल पहले कैथल में कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेकर कुछ लोगों ने पराली को बेचने का काम किया था। पहले किसान निशुल्क खेतों से उठवाते थे।

इसके बाद 1000 रुपये प्रति एकड़, फिर 2000 रुपये प्रति एकड़ और इस सीजन में 3000 से 4000 रुपये प्रति एकड़ तक की कीमत किसान पराली के लिए ले रहे हैं। ट्रैक्टर चालक खेतों से लेबर खर्च के साथ पराली लेकर प्लांटों में पहुंचते हैं। जहां इस सीजन में 220 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है। इन प्लांटों में इस पराली की गांठे बनाई जाती हैं। इसे काट कर सूखे चारे के बॉक्स बनाए जाते हैं। उन्हें फिर मांग अनुसार महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर सहित देश के करीब 15 से अधिक राज्यों में भेजा जाता है।

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