हेल्थ इंश्योरेंस के पेमेंट से जुड़ी सबसे जरूरी खबर, महिला ने कंपनी को सिखाया सबक

सोचिए, आपने कोई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है और आप बीमार पड़ जाएं और पॉलिसी का पैसा सही समय पर न मिले तो क्या करेंगे? दरअसल, ये वाकिया हुआ महाराष्ट्र की एक महिला के साथ. महिला ने ‘न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड’ से स्वास्थ्य बीमा लिया था. बीमा पॉलिसी की अवधि के दौरान, उसकी अप्रैल 2011 में गर्भाशय की एक सर्जरी हुई थी. जब महिला को अस्पताल से छुट्टी मिली तो उसने इलाज में आए खर्च की राशि वापस लेने के लिए कंपनी में आवेदन किया. इस आवेदन के बाद करीब 2 साल बाद बीमा लोकपाल के जरिए अक्टूबर 2013 में कंपनी ने महिला को 1.67 लाख रुपए का भुगतान कर दिया. लेकिन महिला इससे संतुष्ट नहीं हुई और उन्होंने इलाज के बाद भुगतान में हुई देरी के लिए इस राशि पर ब्याज की मांग भी कंपनी से की. जोकि नियमानुसार सही है. 

ब्याज के लिए नहीं मानी कंपनी

महिला की ओर से ब्याज की मांग करने पर कंपनी ने उसे नकार दिया. इसके बाद महिला ने महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग में केस दाखिल कर दिया. आखिरकार फैसला आया और कंपनी से कहा गया है कि देरी उन्होंने की है लिहाजा वो ब्याज भी अदा करेगी. आयोग ने व्यवस्था दी कि कंपनी महिला को उक्त राशि पर नौ प्रतिशत सालाना ब्याज का पैसा दे. उपभोक्ता आयोग ने कहा कि महिला को स्वास्थ्य बीमा संबंधी राशि करीब तीन साल बाद प्राप्त हुई, इसलिए वह इस पर ब्याज की हकदार है.

मांग सकते हैं मुआवजा

बाजार में बढ़त के साथ हुई इस सप्‍ताह की शुरुआत

महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग ने फैसला सुनाया है कि अगर स्वास्थ्य बीमाधारक को खर्च के बदले धन प्राप्त होने में देरी होती है तो बीमाधारक ब्याज का दावा कर सकता है.

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