सेंसर बोर्ड का ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को सर्टिफिकेट देने से इनकार

जनवरी 2017 में प्रकाश झा की नई प्रॉडक्शन फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ की स्क्रीनिंग सेंसर बोर्ड जांच कमिटी के लिए रखी गई, जिसका निर्देशन किया है अलंकृता श्रीवास्तव ने। स्क्रीनिंग के बाद झा का सूचना दी गई कि इस फिल्म को सर्टिफाइड नहीं किया जा सकता।

सेंसर बोर्ड का 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' को सर्टिफिकेट देने से इनकार

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फिल्म को सर्टिफाई नहीं किए जाने को लेकर दी गई वजहों में कहा गया है, ‘यह कहानी महिला बेस्ड है, जिसमें सामान्य जीवन से कहीं बढ़कर, आगे की कल्पनाएं हैं। इसमें कई विवादास्पद सेक्शुअल सीन हैं, गालियों वाले शब्द हैं, ऑडियो पॉर्नोग्रफ़ी और सोसायटी के कुछ वैसे हिस्से को टच किया गया है जो काफी संवेदनशील है, इसलिए गाइडलाइन 1(a), 2(vii), 2(ix), 2(x), 2(xi), 2(xii) and 3(i) के तहत इसे रिफ्यूज़ किया जाता है।’

जांच कमिटी के इस फैसले से झा काफी नाराज हैं। इन दिनों लंदन में मौजूद झा ने मुंबई मिरर से फोन पर हुई बातचीत में कहा, ‘एक देश के तौर पर हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को जरूर प्रोत्साहित करना चाहिए, लेकिन सीबीएफसी ने जिस तरह से फिल्म को सर्टिफाई करने से इनकार किया है उससे साफ है कि कॉम्प्लेक्स मुद्दों पर बेस्ड फिल्मों के मामले में फिल्ममेकर्स को हतोत्साहित किया जा रहा है।’

भारत के छोटे से शहर की कहानी पर बेस्ड इस फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का’ में कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह, अहाना कुमरा, प्लाबिता बोरठाकुर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो आज़ाद जीवन जीने की तमन्ना रखती हैं।

फिल्म को सर्टिटिफिकेट नहीं दिए जाने की बात पर अलंकृता ने कहा, ‘यह एक महिलावादी फिल्म है, जिसमें वे रूढ़िवादी सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर पितृसत्तात्मक समाज को चैलेंज करती दिखती हैं। मेरे ख्याल से सिर्फ इसीलिए वे इस फिल्म को सर्टिफाई नहीं करना चाहते। एक फिल्ममेकर के नाते मैं इस कहानी का समर्थन करती हूं और इसके लिए आखिर तक लड़ूंगी।’

गौरतलब है कि ‘लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का’ को मुंबई फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का ऑक्सफैम अवॉर्ड मिल चुका है और तोक्यो इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में भी इसे द स्पिरिट ऑफ एशिया प्राइज़ भी दिया जा चुका है।
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