महा-बर्बादी: मोहर्रम से शुरू हुई महाकाल की महादशा, बर्बाद हो जाएंगे व्यापारी

महा-बर्बादी: मोहर्रम से शुरू हुई महाकाल की महादशा, बर्बाद हो जाएंगे व्यापारी…. बुधवार को मोहर्रम के साथ ही महाकाल की महादशा शुरू हो गई है। ये 16 अक्टूबर तक चलेगी। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पंचक को अशुभता का दौर माना जाता है। आज प्रात: करीब-करीब 04.08 से पंचक शुरू हो गया है जो 16 अक्टूबर, रविवार की मध्याह्न लगभग 12.10 तक रहेगा। 

आज बुधवार से इसका आरंभ हो रहा है इसलिए जब तक पंचक का समय रहे तब तक किसी को रूपए-पैसे का उधार न दें। कारोबार में कोई भी निर्णय लेने से पहले सर्तकता बरतें। शेयर व वायदा बाजार से संबंध रखने वाले बड़े सौदों में हाथ न डालें।
महा-बर्बादी: मोहर्रम से शुरू हुई महाकाल की महादशा, बर्बाद हो जाएंगे व्यापारी
ज्योतिषशास्त्री कहते हैं की सभी नक्षत्रों का अपना-अपना प्रभाव होता है। कुछ शुभ फल देते हैं तो कुछ अशुभ लेकिन कुछ ऐसे काम होते हैं जो कुछ नक्षत्रों में नहीं करने चाहिए। धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती ऐसे ही नक्षत्रों का एक समुदाय है। धनिष्ठा के शुरू होने से लेकर रेवती नक्षत्र की समाप्ति की अवधि को पंचक कहा जाता है।
पंचक में कुछ कार्य विशेष रूप से निषिद्ध कहे गए हैं-
* पंचकों में शव का क्रियाकर्म करना निषिद्ध है क्योकि पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने पर कुटुंब या पड़ोस में पांच लोगों की मृत्यु हो सकती है।
* पंचकों के पांच दिनों में दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित कही गई है क्योंकि दक्षिण मृत्यु के देव यम की दिशा मानी गई है।
* चर संज्ञक धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहने के कारण घास लकड़ी ईंधन इकट्ठा नहीं करना चाहिए।
* मृदु संज्ञक रेवती नक्षत्र में घर की छत डालना धन हानि व क्लेश कराने वाला होता है।
* पंचकों के पांच दिनों में चारपाई नहीं बनवानी चाहिए।
पंचक दोष दूर करने के उपाय-
* लकड़ी का समान खरीदना अनिवार्य होने पर गायत्री यग्य करें।
* दक्षिण दिशा की यात्रा अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में पांच फल चढ़ाएं।
* मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलाने के पश्चात छत डलवाएं।
* पलंग या चारपाई बनवानी अनिवार्य हो तो पंचक समाप्ति के बाद ही इस्तेमाल करें।
* शव का क्रियाकर्म करना अनिवार्य होने पर शव दाह करते समय कुशा के पंच पुतले बनाकर चिता के साथ जलाएं।
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