भारत के आगे झुका चीन, पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने पर हुआ सहमत

नई दिल्ली.
भारत और चीन लद्दाख में चल रहे तनाव में सोमवार को कुछ कमी आती दिखी. कल
हुई दोनों देशों के जनरल स्तर पर बातचीत के दौरान ड्रैगन पूर्वी लद्दाख के
तनाव वाले इलाके से अपने सैनिकों को हटाने पर सहमत हो गया है. बता दें कि
गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए
थे, जबकि चीन के 40 जवान मारे गए थे. इस घटना के बाद दोनों देशों के तनाव
चरम पर पहुंच चुका है.

सूत्रों ने
बताया कि वार्ता में पूर्वी लद्दाख से सैनिकों के हटाने के लिए तौर-तरीकों
को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया. बातचीत के दौरान भारत की ओर
से साफ कह दिया गया है कि एलएसी में जैसी स्थिति 5 मई के पहले थी वैसे ही
होनी चाहिए. यानी कि भारत की ओर से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि चीन
अपनी सीमा पर वापस लौटे.

दोनों पक्षों
के बीच उसी जगह पर छह जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की बातचीत
हुई थी, जिसके दौरान दोनों पक्षों ने गतिरोध दूर करने के लिए एक समझौते को
अंतिम रूप दिया था. हालांकि, 15 जून को हुई हिंसक झड़पों के बाद सीमा पर
स्थिति बिगड़ गई, क्योंकि दोनों पक्षों ने 3,500-किलोमीटर की वास्तविक सीमा
के पास अधिकांश क्षेत्रों में अपनी सैन्य तैनाती को काफी तेज कर दिया.

दरअसल, भारत और
चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी खींचतान के बीच
सोमवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत हुई थी. भारतीय पक्ष का नेतृत्व
14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया जबकि चीनी पक्ष
का नेतृत्व तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर ने किया था. एलएसी के
दूसरी ओर चीन के हिस्से में मोल्डो इलाके में दोनों सेनाओं के अधिकारियों
के बीच बैठक हुई.

यह बैठक करीब
12 घंटे के बाद खत्म हुई. सूत्रों के अनुसार, सोमवार को हुई कोर कमांडर
स्तर की मीटिंग सकारात्मक माहौल में हुई. बैठक में दोनों देशों के बीच तनाव
कम करने पर सहमति बनी. तनाव वाले क्षेत्र से दोनों पक्ष सेना हटाने को
लेकर सहमत थे. पूर्वी लद्दाख में जिन-जिन जगहों पर गतिरोध है, वहां
डिसइंगेजमेंट कैसे किया जाएगा, इसकी प्रक्रिया पर बात हुई.

चीन से लडऩे के लिए 10 हजार करोड़ की योजनाएं

पिछले दिनों
लद्दाख में हुई हिंसक झड़प में भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद भारत
सरकार ने चीन से अपनी निर्भरता को खत्म करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं.
इसी क्रम में भारत के मैन्युफैक्चरर्स के लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपये की
तमाम योजनाएं शुरू की जानी हैं. मेक इन इंडिया से जुड़ी तमाम गाइडलाइन्स की
घोषणा जुलाई के पहले सप्ताह में की जानी हैं. इससे पहले कोरोना काल में भी
भारत ने टेस्टिंग किट और प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट को लेकर खुद को
आत्मनिर्भर बनाने के लिए काफी कोशिशें की थीं.

फिंगर 4 पर चीनी जमावड़े का भारत का विरोध

लद्दाख के
फिंगर 4 पर चीन के सैनिकों के जमावड़ें पर कड़ा ऐतराज जताया था. भारत ने
चीन से साफ कहा कि इस इलाके से ड्रैगन को अपने सैनिकों को हटाने ही होंगे
और उसे अपने पूर्व की स्थिति पर लौटना होगा. बता दें कि भारत ने चीन के
विरोध के बाद भी लद्दाख में अपनी सीमा में तेजी से सड़क बना रहा है.

चीन के धोखे के बाद भारत सतर्क

गलवान घाटी में
चीन के धोखे के बाद भारत पूरी तरह से सतर्क हो गया है. लद्दाख से लेकर
सिक्किम तक चीन की सीमा से लगने वाले एलएसी पर भारतीय सेना पूरी तरह से
सतर्क है और चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए उसे खुली छूट मिल
चुकी है. भारत ने इन इलाकों में लड़ाकू विमानों से लेकर हैवी मशीनगनें तक
तैनात कर दी है.

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