UP के पार्क में पहरा, सड़कों पर गश्त, योगी राज में रोमियो पस्त

क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि मजनूं के मतलब क्या हैं और मनचलों के मायने क्या? रोमियो कौन था और राउडी किसे कहते हैं? कोई पुलिसवाला या कानून का मुहाफिज ये कैसे पता लगाएगा कि किसी लड़के ने लड़की को छेड़ा है? क्य़ा पास से गुजर जाने भर को छेड़ना माना जाएगा? या सिर्फ नजरें मिलाने भर को छेड़खानी करार दिया जाएगा? या फिर ये काम लड़कियों की शिकायत पर होगा? ज़ाहिर है ये तमाम सवाल सुन कर अब तक आप समझ ही गए होंगे कि यहां बात किसकी हो रही है.

UP के पार्क में पहरा, सड़कों पर गश्त, योगी राज में रोमियो पस्त

UP के पार्क में पहरा, सड़कों पर गश्त, योगी राज में रोमियो पस्तकरीब सवा पांच सौ साल पहले एक नाटक के ज़रिए रोमियो का जन्म हुआ था. शेक्सपीयर ने रोमियो को पैदा किया था. नाटक का नाम था रोमियो-जूलियट. दोनों मोहब्बत के ऐसे दीवाने कि आखिर में एक-दूसरे के लिए जान दे देते हैं और इस तरह इनकी प्रेम कहानी हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो जाती है. मगर सवा पांच सौ साल बाद अब वही रोमियो अचानक यूपी का सबसे बदनाम नाम बना दिया गया है. क्योंकि उसका नाम इश्क और मोहब्बत के खाने से निकाल कर अब यूपी के बिगड़े शोहदों के साथ जोड़ दिया गया है.

रोमियो इतना बदनाम इससे पहले शायद ही कभी हुआ हो. मजनूं की भी ऐसी हालत पहले नहीं हुई होगी. पर क्या करें, कानून की खूंटी पर जब मजनूं और मनचले एक साथ टंगे हों, रोमियो और राउडी एक ही डंडे से हांके जाएं तो ये तो होगा ही. रोमियो के नाम से पहले एंटी लग गया है और रोमियो के नाम के आगे दस्ता. इस तरह यूपी में कानून की डिक्शनरी में एक नया नाम जोड़ दिया गया, ‘एंटी रोमियो दस्ता’. ऐसा लगता है मानो यूपी में इस वक्त मनचलों या शोहदों से बड़ी कोई आफत ही नहीं है.

माफियाओं से ज्यादा मनचलों से खतरा
शहर हो या फिर स्कूल और कॉलेज हो, मानो सारा काम छोड़कर पुलिस बस रोमियो के ही काम पर लगा दी गई है. जबकि इसी यूपी में बड़े-बड़े और छटे हुए क्रिमिनल और बदमाश इन्हीं खाकी वालों का मजाक उड़ाते हुए लंबे वक्त से फरार हैं और भगौड़े बने हुए हैं. सरकार बनने से पहले ऐसे अपरधियों को एक हफ्ते के अंदर पकड़ कर अंदर करने के दावे किए गए थे. मगर शायद उन भगौड़े खूनी, रेपिस्ट और माफियाओं से कहीं ज्यादा मनचलों से यूपी को खतरा लग रहा है, इसीलिए सारी फोर्स रोमियो के पीछे छोड़ दी गई है.

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सख्त है योगी सरकार का फरमान
एक जमाना था कि बच्चों के बर्ताव पर घर वालों की नजर रहती थी. बच्चे तहजीब घर से सीखते थे. लेकिन सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस जमाने में बच्चे मां-बाप के हाथों से निकल चुके हैं. शायद इसीलिए प्रशासन को बाप का रोल अदा करना पड़ रहा है. योगी जी का फरमान है कि अब पुलिस की टीमें मनचलों पर निगाह रखेंगी. लेकिन क्या ये मुमकिन है? एक पुलिस वाला कैसे ये फैसला करेगा कि किसी लड़के ने लड़की को छेड़ा है? क्य़ा पास से गुजर जाने भर को छेड़ना कहा जाएगा? या फिर ये काम लड़कियों की शिकायत पर होगा?

यूपी का मामला थोड़ा अलग
दुनिया गवाह है कि कोई ताकत कभी प्यार करने वालों को रोक नहीं पाई है, लेकिन यूपी का मामला थोड़ा अलग है. स्कूल या फिर कॉलेज जाती लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने वालों को रोकना तो सही है. लेकिन ये तय कर पाना यकीनन एक मुश्किल काम है कि कौन लड़की को छेड़ रहा है? कौन लड़की की मर्जी से उससे मिल रहा है? या फिर कौन किसी काम से किसी गर्ल्स स्कूल या फिर कॉलेज के सामने से गुज़र रहा है? और बस यही वो तलवार की धार है, जिस पर इन दिनों यूपी पुलिस चल रही है.

रहम की उम्मीद न करें मनचले
सूबे के निज़ाम बदलने के साथ-साथ पुलिस के बदले तेवरों से साफ जाहिर है कि वो मनचले रहम की उम्मीद न करें, क्योंकि अब यूपी में रोड साइड रोमियों की गुज़र-बसर मुश्किल है. सूबे की राजधानी से लेकर हर छोटे बड़े शहर तक पुलिस फुल एक्शन में है. हर उस स्कूल के बाहर, हर उस कॉलेज के बाहर एंटी रोमियो स्क्वॉयड खड़ी है, जहां सड़कछाप मजनुओं का राज हुआ करता था. जिन्हें पता था वो तो बच गए लेकिन जिन्हें नहीं पता था वो फंस गए. एंटी रोमियो ऑपरेशन के सबसे ज़्यादा मनचले या शोहदे मेरठ में शिकार बने.

एंटी रोमियो स्क्वॉयड बनने से मनचलों में खलबली
दिन में स्कूल-कॉलेज और रात में बाज़ार जब पुलिस की गश्त शुरु हुई तो यहां-वहां मौजूद मनचलों में खलबली मच गई. एंटी रोमियो ड्राइव को एक्शन में देखकर झांसी की एतिहासिक इमारतों और पार्कों से लोग भागते नज़र आए. कुछ भागने में कामयाब हो गए तो कुछ इस टीम के हत्थे चढ़ गए. गाज उन मनचलों पर गिरी जो पार्कों में डेरा जमाए बैठे थे. ऐसे लोगों का पुलिस ने पूरा कच्चा चिट्ठा खोल डाला. सादी वर्दी में आई एंटी रोमियो स्क्वॉयड की महिला पुलिसकर्मियों की दबंगई के आगे मनचलों की शामत आ गई.

मनचलों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा
महिला पुलिसकर्मी खुद भीड़भाड़ वाले चौराहों से गुज़रीं और फब्तियां कसते ही मनचलों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. मुखिया बदलते ही हर शहर का एक ही हाल था. कानपुर में भी वो लड़के-लड़कियां पुलिस के निशाने पर रहे जो पार्कों में बैठे हुए थे. हालांकि पुलिस को यहां शोहदे नहीं मिले. वैसे लड़कियों से छेड़छाड़ करने वाले मनचलों पर लगाम कसने की इस कोशिश में पुलिस ने उन लोगों को भी नहीं छोड़ा, जो दोस्तों के साथ फिल्म देखने जा रहे थे. कई मामलों में पुलिस ने लड़कियों को तो छोड़ दिया लेकिन लड़के को पुलिस अपने साथ थाने ले गई.

IG सतीश गणेश होंगे एंटी रोमियो स्क्वॉयड के लीडर
एंटी रोमियो स्क्वॉयड की शुरूआत यूं तो लखनऊ ज़ोन में आने वाले शहरों में की गई, मगर जो शहर इस ज़ोन में नहीं भी आते हैं वो भी मनचलों को सबक सिखाने के लिए सड़कों पर है. यहां एंटी रोमियो स्क्वॉयड के मुखिया आईजी सतीश गणेश होंगे. करीब 500 पुलिस अधिकारी इस स्क्वॉयड का हिस्सा होंगे. सेंसिटिव इलाकों की पहचान कर तुरंत एक्शन लिया जाएगा. जिला स्तर पर अगुवाई इंस्पेक्टर रैंक का पुलिसकर्मी करेगा. एंटी रोमियो स्क्वॉयड में ज्यादातर महिला पुलिसकर्मी होंगी. टीम उन जगहों की रिपोर्ट देगी जहां अक्सर छेड़खानी होती है. फिलहाल तो इस ऑपरेशन के तहत रोड साइड रोमियो को बिना किसी सख्त कार्रवाई के छोटी-मोटी सज़ा देकर छोड़ा जा रहा है. मगर हिदायत दे दी गई है कि अगर आगे से पार्कों में मोहब्बत करते दिखे तो उनके लिए बहुत मुश्किल होने वाली है.

 
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