बिहार-झारखंड का कुपोषण दूर करेगी कानपुर की मसूर दाल, जिंक और आयरन से है भरपूर

कानपुर के भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र (आईआईपीआर) की मसूर की दाल अब कुपोषण को दूर करेगी। भारत के पूर्वी राज्यों में इस दाल का उपयोग अधिक किया जाएगा। इसके प्रचार प्रसार करने के लिए भारत सरकार ने दलहन अनुसंधान को 2.50 करोड़ रुपये का बजट दिया है।


भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने करीब दस साल की रिसर्च के बाद मसूर की नई प्रजाति आईपीएल-220 विकसित की है। इसमें जिंक व आयरन की मात्रा सामान्य से अधिक है। हालांकि इसकी उपज कुछ कम है। इस प्रजाति की पैदावार 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
वहीं, यह फसल 120 से 125 दिन में तैयार हो जाती है। बिहार, झारखंड समेत सभी पूर्वोत्तर राज्यों में कुपोषण बड़ी समस्या है, जिसको देखते हुए भारतीय दलहन अनुसंधान केंद्र की प्रजाति आईपीएल-220 का प्रचार प्रसार करने की तैयारी है।

2.50 करोड़ रुपये का बजट भी मिला
आईआईपीआर के निदेशक डॉ. जीपी दीक्षित ने कहा कि एक प्रोजेक्ट के तहत इसका प्रचार प्रसार बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के लिए किया जा रहा है। यह दाल शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करती है। इसके लिए 2.50 करोड़ रुपये का बजट भी मिला है।

Back to top button