संकटमोचन संगीत समारोह: अनूप जलोटा के भजन पर मगन हुए दर्शक

पांचवीं प्रस्तुति के साथ मंच पर अनूप जलोटा के आते ही पूरा मंच हर-हर महादेव के जयघोष से गूंजने लगा। अनूप जलोटा ने भी हर-हर महादेव के साथ जनता का अभिवादन किया। उन्होंने गायन की शुरुआत काशी बदली, अयोध्या बदली अब मथुरा की बारी है… से की।

इसके बाद जय बजरंग बली बोलो जय बजरंग बली… के बाद मेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम… सुनाया तो दर्शक दीर्घा भी राम-राम के साथ करतलध्वनि करने लगी। इसके बाद उन्होंने जनता की मांग पर ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन… जब गुनगुनाना शुरू किया तो जनता भी उनके साथ मगन हो उठी। पूरा प्रांगण उनके सुर में सुर मिलाने लगा।

संगीत कोई भी हो कभी खराब नहीं होता, खराब होती है रचना
भजन सम्राट अनूप जलोटा ने कहा कि संगीत कोई भी हो कभी खराब नहीं होता है। संगीत में सिर्फ सात सुर ही होती हैं कोई आठवां सुर नहीं होता है। खराब होती है तो उस संगीत में इस्तेमाल होने वाली रचना। मैं तो संकटमोचन के दरबार में सुनाने नहीं यहां आने वाले कलाकारों को सुनने आता हूं।

मंगलवार को संकटमोचन संगीत समारोह में बातचीत के दौरान अनूप जलोटा ने कहा कि मैं पिछले 25 सालों से संकटमोचन संगीत समारोह में प्रस्तुति दे रहा हूं। पिछला साल मेरे लिए यादगार था जब सौवें साल में सात दिन में सौ कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी थीं, उनमें एक मैं भी अदना कलाकार था।

जब तक शरीर में प्राण रहेगा संकटमोचन के दरबार में आता रहूंगा। यहां मैं अपनी बैट्री रिचार्ज करने आता हूं। यहां आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा है। पहले मैं यहां अपनी पत्नी मेधा के साथ आता था। मेधा ने पंडित जसराज जी से गायन सीखा था। अब वह नहीं हैं तो अब मैं अकेला ही यहां आता हूं।

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