लोकसभा चुनाव: हरियाणा की छह सीटों पर खास परिवारों का रहा वर्चस्व

प्रदेश में छह सीटें ऐसी हैं, जहां एक ही परिवार के लोग बार-बार जीतते आए हैं। भले ही वे दल बदलते रहे, लेकिन चेहरा एक परिवार का ही सामने आता रहा।

हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस, भाजपा, इनेलो सभी ने परिवारवाद को बढ़ाया है। प्रदेश में छह सीटें ऐसी हैं, जहां एक ही परिवार के लोग बार-बार जीतते आए हैं। भले ही वे दल बदलते रहे, लेकिन चेहरा एक परिवार का ही सामने आता रहा। इस बार भी इन्हीं परिवारों के वंशज चुनावी रण में ताल ठोकते दिखाई रहे हैं। इन सीटों पर दादा से लेकर पोता तक जीते तो कहीं पिता ने पुत्र को ही उस सीट के रूप में अपनी विरासत सौंप दी। रोहतक और भिवानी सीट पर तो तीन-तीन पीढ़ियों ने जीत का स्वाद चखा है।

हिसार सीट पर भी तीन पीढ़ियों ने चुनाव लड़ा, लेकिन दो पीढ़ियां ही चुनाव जीत सकीं। रोहतक, महेंद्रगढ़, भिवानी सीट पर पिता-पुत्र की जोड़ी सबसे अधिक जीती है। हिसार लोकसभा की सीट एकमात्र ऐसी रही है जहां पर दो-पिता पुत्रों की जोड़ी को जनता का आशीर्वाद मिला। इस सीट पर पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल व कुलदीप बिश्नाेई और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और बेटे बृजेंद्र सिंह सांसद बन चुके हैं।

भिवानी से एक ही परिवार की तीन पीढ़ियां पहुंचीं संसद
भिवानी सीट पर चौधरी बंसीलाल तीन बार, सुरेंद्र सिंह दो बार, श्रुति चौधरी एक बार सांसद बनीं। 1980, 1984, 1989 में चौधरी बंसीलाल सांसद बने। इसके बाद 1996, 1998 में उनके बेटे सुरेंद्र सिंह व 2009 में बंसीलाल की पौत्री और सुरेंद्र की बेटी श्रुति सांसद बनीं।

सिरसा : 4 बार पिता, 2 बार बेटी
सिरसा सीट पर 1967, 1971, 1980, 1984 में दलबीर सिंह सांसद बने। उसके बाद 1991, 1996 में उनकी बेटी कुमारी सैलजा जीतीं। सैलजा दो अलग अलग अंबाला व सिरसा लोकसभा सीट पर लड़कर जीतने वाली प्रदेश की एकमात्र महिला नेता हैं।

रोहतक सीट पर एक ही परिवार का वर्चस्व
रोहतक सीट पर चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा दो, उनके बेटे भूपेंद्र सिंह हुड्डा चार और पोते दीपेंद्र सिंह हुड्डा तीन बार सांसद बन चुके हैं। 1951, 1957 में चौधरी रणबीर सिंह सांसद बने। 1991, 1996, 1998, 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा व 2005, 2009 और 2014 में दीपेंद्र सिंह हुड्डा।

तब महेंद्रगढ़ व अब गुरुग्राम सीट पद पर राव परिवार का दबदबा
महेंद्रगढ़ यानी मौजूदा गुरुग्राम सीट पर राव बीरेंद्र सिंह तीन बार और उनके बेटे राव इंद्रजीत सिंह पांच बार सांसद बन चुके हैं। महेंद्रगढ़ में 1980, 1984, 1989 में राव बीरेंद्र सिंह सांसद बने और 1998, 2004 में उनके बेटे राव इंद्रजीत सांसद बने। उसके बाद यह महेंद्रगढ़ जिला भिवानी में शामिल हो गया और गुरुग्राम नाम से नई सीट बनी। इस सीट से भी 2009, 2014 और 2019 से राव इंद्रजीत ही लगातार जीतते आ रहे हैं।

हिसार : दो परिवारों की दो पीढ़ियां जीतीं
हिसार में वर्ष 1977 में चौधरी बीरेंद्र सिंह सांसद बने, 2014 में उनके बेटे बृजेंद्र सिंह सांसद बने। वर्ष 2009 में चौधरी भजनलाल सांसद बने, 2009 के उपचुनाव में उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई सांसद बने।

कुरुक्षेत्र : उद्योगपति पिता-पुत्र बने थे सांसद
कुरुक्षेत्र में 1996 में उद्योगपति ओपी जिंदल सांसद बने। इसके बाद 2009 में उनके बेटे नवीन जिंदल सांसद बने। इस सीट पर पिता और पुत्र को जनता का आशीर्वाद मिला।

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