GST में फंसे ड्राय फ्रूट्स: पैकेट में आते ही काजू का टैक्स भी बादाम के जितना ही

जयपुर.दिवाली के त्यौहारी सीजन में जयपुर का करीब 80 करोड़ का ड्रायफ्रूट कारोबार इस बार 30 फीसदी तक घट गया है। यह राशि करीब 24 करोड़ के आसपास है। दरअसल जीएसटी इसके लिए बड़े तौर पर जिम्मेदार है। उपभोक्ताओं के साथ व्यापारियों को भी जीएसटी के अलग-अलग स्लैब ने परेशान कर दिया है। जो काजू, किशमिश, अखरोट 5 फीसदी जीएसटी के साथ खुले में बिक रहा है, ड्रायफ्रूट पैकिंग की शक्ल में आते ही इस पर जीएसटी बढ़कर 12 फीसदी हो जाता है।
 GST में फंसे ड्राय फ्रूट्स: पैकेट में आते ही काजू का टैक्स भी बादाम के जितना ही
व्यापारियों का कहना है कि ड्रायफ्रूट पेकिंग कारोबार पिछली बार की तुलना में इस बार 30 फीसदी तक टूटा है। दिवाली का फेस्टिव सीजन अब परवान पर चढ़ गया है। ड्रायफ्रूट की डिमांड भी काफी तेज है। इस बीच शहर के बड़े मिष्ठान्न भंडारों और होलसेल ड्रायफ्रूट सेलर्स से बातचीत हुई तो चौंकाने वाली जानकारी मिली। व्यापारियों के मुताबिक ड्रायफ्रूट के पैकिंग कारोबार में इस बार काफी डाउनफॉल है।

कैसे ‘ड्राय’ हुआ ड्रायफ्रूट कारोबार

– काजू, किशमिश, अखरोट खुले में लेने पर पांच-पांच फीसदी जीएसटी लगता है। उदाहरण के लिए बेस्ट क्वालिटी के आधा किलो ये आइटम खुले में 500-600 रुपए तक की दर पर उपलब्ध हैं। जीएसटी मिलाकर 630 रुपए तक चुकाने होंगे। 
– पैकिंग पर होने वाला खर्च आइटम पर परोक्ष रूप से जुड़ता है ऐसे में इसकी दर अब 650 के आसपास हो गई। पैकिंग में इसी आइटम पर जीएसटी 5 फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा। ऐसे में यह पैक 750 रुपए से ऊपर का हो जाएगा। उपभोक्ता को सीधे तौर पर डेढ़ सौ रुपए ज्यादा चुकाना पड़ रहा है। 
– ड्रायफ्रूट के पैक में बादाम, पिस्ता, अंजीर, खुमानी भी शामिल हो सकते हैं। इन पर जीएसटी 12 फीसदी ही है। एक साथ पैक होने पर जीएसटी का अधिकतम स्लैब ही वसूल किया जाता है। पैकिंग की क्वालिटी, आइटम की मात्रा के अनुसार इसकी दर में और अंतर आएगा।

अगर पैकेट में चॉकलेट और जोड़ दी तो 28% जीएसटी

इतना ही नहीं, मान लीजिए अगर ड्रायफ्रूट के पैकैट में चॉकलेट भी जोड़ दी तो यह पैकेट और महंगा हो जाएगा। क्योंकि चॉकलेट पर 28% जीएसटी है। इसे इस तरह समझ सकते हैं- अगर कोई ड्रायफ्रूट का पैकेट अभी 450 रुपए का है, तो इसमें चॉकलेट जुड़ते ही यह पैकेट 507 रुपए का हो जाएगा। ड्रायफ्रूट्स पर जीएसटी के अलग-अलग स्लैब की वजह से समस्या ग्राहकों को उठानी पड़ रही है। असर बाजार पर पड़ रहा है। स्लैब के असमंजस की वजह से दिवाली के इस सीजन में ग्राहकाें के साथ-साथ दुकानदार भी परेशान हो रहे हैं।

एक्सपर्ट बोले- जीएसटी में उलझा हुआ है सबकुछ

जीएसटी मामलों के जानकार सीए अनिलसिंह शेखावत का कहना है कि कई इश्यू मेंं जीएसटी बहुत ही कांपलीकेटेड है। लगता है सब कुछ उलझा हुआ है। काजू, किशमिश, अखरोट पैकिंग में आते ही कीमत ज्यादा चुकानी होगी। त्यौहारी सीजन में तो कई जगह हालात ये हैं कि ड्रायफ्रूट्स का बिल ही नहीं मिल रहा। अलग-अलग पैकिंग के हिसाब से उस पर अपने-अपने रेट लिखे हुए हैं। शेखावत का मानना है कि पैरेलर बिजनेस अब नकद लेनदेन के रूप में जीएसटी के बाहर भी ट्रेंड कर रहा है। यानि न बिल दिया जा रहा है न मांगा जा रहा है।

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जीएसटी में फंसे ड्राय फ्रूट्स

नतीजा :पिछली बार की तुलना में महंगे हो गए ड्रायफ्रूट पैकेट, जयपुर में पिछले साल 80 करोड़ का कारोबार, इस साल 30% तक घट गया | ड्रायफ्रूट्स का बिजनेस 30% तक घटा है। जीएसटी स्लैब ने उपभोक्ताओं के साथ ही व्यापारियों को भी परेशान कर रखा है। -अनन्य अग्रवाल, डायरेक्टर,एलएमबी
यह बड़ा अजीब है कि खुले में जिस वस्तु पर 5 फीसदी जीएसटी है, पैकिंग में 12 फीसदी हो जाता है। उपभोक्ता जरूर इसे भी गौर करता है। ड्रायफ्रूट इस बार 25-30 फीसदी तक कम बिक रहा है। -चंद्रप्रकाश देवड़ा, रावत मिष्ठान्न भंडार
जीएसटी से उपभोक्ता को अचानक से बिल में भार नजर आता है। पैकिंग ड्रायफ्रूट पर 12 फीसदी जीएसटी कई ग्राहकों को अखरता है। -राहुल शर्मा, दूध मिष्ठान्न भंडार
मोटे आंकलन के मुताबिक फेस्टिव सीजन में 60-80 करोड़ का ड्रायफ्रूट काराबोर जयपुर में है। इस बार जीएसटी ने ही कारोबार को तीस फीसदी तक प्रभावित कर दिया है। व्यापारी भी कुछ नहीं कर सकता। जीएसटी के जो स्लैब सरकार ने बना दिए उसी के अनुसार उसे माल बेचना है। चाहे ज्यादा बिके या फिर कम।
 -राजेश सचदेवा, ड्राइ फू्ट होलसेलर्स
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