जापान में भूकंप के पांच दिन बाद मलबे से बचाई गईं 90 वर्षीय महिला

जापान में पुलिस और बचावकर्मियों ने भूकंप के पांच दिन बाद शनिवार को एक ढहे हुए घर से 90 साल की महिला को जीवित बाहर निकाला। इशिकावा प्रांत के सुजु शहर में सोमवार को आए भूकंप के बाद महिला दो मंजिला घर के मलबे में दब गई थी। भूकंप में 126 से अधिक लोगों की मौत हुई है।

हाइपोथर्मिया से पीड़ित लग रही थी महिला
योमीउरी अखबार ने मेट्रोपालिटन पुलिस विभाग के हवाले से बताया कि जब महिला को मलबे से निकाला गया वह हाइपोथर्मिया से पीड़ित लग रही थी, लेकिन वह होश में थी। हाइपोथर्मिया में शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। महिला की पहचान नहीं हो पाई है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप के मलबे में दबे लोग आमतौर पर तीन दिन तक जीवित रहते हैं, हालांकि तापमान, पानी या भोजन तक पहुंच जैसे कारकों के आधार पर अधिक समय तक जीवित रहना संभव है।

बचावकर्मियों को मदद में परेशानी आ रही
बड़ी संख्या में सड़कों के टूटने से बचावकर्मियों को मदद में परेशानी आ रही है। भूकंप में शनिवार को मरने वालों की संख्या बढ़कर 126 हो गई। इसमें पांच वर्ष का एक बच्चा शामिल है, जिसपर सोमवार को भूकंप के बाद उबलता हुआ पानी गिर गया था। शुक्रवार को उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई जिससे उसकी मौत हो गई।

लोग ठंड व भूख से परेशान
लगभग 30 हजार लोगों को निकालकर स्कूलों व अन्य सुविधा केंद्रों पर रखा गया है, लेकिन उन तक मदद पहुंचाने में परेशानियां आ रही हैं। लोग ठंड व भूख से परेशान हैं। सोमवार को 7.6 तीव्रता के भूकंप के बाद जापान के पश्चिमी तट पर व्यापक तबाही आई थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के घर और नौकाएं क्षतिग्रस्त हो गई थीं।

इस पर बारिश और बर्फबारी ने राहत कार्य में और मुश्किलें पैदा कर दी हैं। भूकंप से इशिकावा प्रांत में काफी नुकसान पहुंचा है। वाजिमा शहर में रिकार्ड 69 लोगों की जान गई है, इसके बाद सुजु में 38 लोगों की मौत हुई है। भूकंप में 500 से अधिक लोग घायल हुए हैं, इनमें से 27 की हालत गंभीर है।

दो सौ सेअधिक लोग लापता
इसके अलावा अभी भी दो सौ सेअधिक लोग लापता हैं। जापान के भूकंप पीडि़तों की मदद के लिए कई देश आगे आए हैं। इस बीच, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने जापान के पीएम फुमिओ किशिदा को संदेश भेजकर भूकंप पीडि़तों के प्रति हमदर्दी जताई है। लोगों की मदद के लिए हजारों सैनिक हवाई मार्ग और जल मार्ग से मदद पहुंचाने में लगे हैं।

Back to top button