पटना की प्रसिद्ध सिन्हा लाइब्रेरी के 100 वर्ष पूरे

पटना: राजधानी पटना की प्रसिद्ध सिन्हा लाइब्रेरी के 100 वर्ष शुक्रवार को पूरे हो गए, जहां देश-विदेश की कुछ दुर्लभ किताबों सहित लगभग 1.8 लाख पुस्तकों का समृद्ध संग्रह है। इस पुस्तकालय के ऐतिहासिक सभागार में आयोजित एक समारोह में बिहार सर्कल के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल, अनिल कुमार द्वारा ऐतिहासिक संस्थान के सौ वर्ष पूरे होने को रेखांकित करते हुए एक विशेष डाक लिफाफा जारी किया गया। धरोहर भवन और कुछ दशक पहले बने उसके आधुनिक खंड को इस मौके पर सजाया गया है। 

बिहार की राजधानी पटना के मध्य स्थित, दो मंजिला पुरानी इमारत को आधिकारिक तौर पर ‘श्रीमती राधिका सिन्हा संस्थान और सच्चिदानंद सिन्हा लाइब्रेरी’ के रूप में स्थापित किया गया था, जिसे ‘सिन्हा लाइब्रेरी’ के नाम से जाना जाता है। संस्थान का नाम उनकी पत्नी के नाम पर रखा गया था। सच्चिदानंद सिन्हा द्वारा स्थापित, पुस्तकालय का उद्घाटन 9 फरवरी, 1924 को बिहार और ओडिशा के तत्कालीन राज्यपाल सर हेनरी व्हीलर ने किया था। आधुनिक बिहार के निर्माताओं में शामिल सच्चिदानंद सिन्हा, भारत की संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष भी थे जब इसकी पहली बैठक 1946 में दिल्ली में हुई थी। यह पुस्तकालय राधिका सिन्हा संस्थान और सच्चिदानंद सिन्हा लाइब्रेरी ट्रस्ट द्वारा संचालित है। 

पुस्तकालय में 1.8 लाख पुस्तकों का एक समृद्ध संग्रह 
ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील सुनील कुमार ने बताया, ‘‘पुस्तकालय में 1.8 लाख पुस्तकों और 1901 के बाद के कुछ सबसे पुराने समाचार पत्रों की प्रतियों का एक समृद्ध संग्रह है। आज एक ऐतिहासिक अवसर है और यह बिल्कुल उपयुक्त है कि इस प्रतिष्ठित संस्थान के शताब्दी वर्ष पर एक विशेष लिफाफा जारी किया गया है।” कुमार कई अन्य मेहमानों और पुस्तकालय में आने वाले कुछ छात्रों के साथ समारोह में शामिल हुए। इस मौके पर सच्चिदानंद सिन्हा और राधिका सिन्हा की पुरानी तस्वीरें दीवारों पर लगाई गई थीं। पुस्तकालय में दुर्लभ ग्रंथ रखे हुए हैं, जैसे ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमन्स में हुई हैनसार्ड चर्चा संबंधी खंड, भारत के संसद सत्र, द इंडियन रिव्यू, द कलकत्ता रिव्यू, मैक्स मुलर द्वारा संपादित सेक्रेड बुक ऑफ द ईस्ट खंड, प्राचीन भारतीय परंपरा और पौराणिक कथाएं। द लीडर, द सर्चलाइट, द इंडियन नेशन के शुरुआती संस्करणों की प्रतियों सहित पुराने समाचार पत्र भी इस पुस्तकालय में रखी हुए हैं जो छात्रों और विद्वानों, दोनों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। 

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