नरेंद्र सिंह नेगीः लोक की नब्ज पकड़ी और बन गए बेमिसाल

नेगी दा के लिए हजारों-लाखों हाथ हर पल उठ रहे हैं। भावनाओं का वेग उफान पर है। उत्तराखंड को अपने किसी लोक कलाकार के लिए इस कदर चिंतामग्न होते पहले कभी नहीं देखा। नरेंद्र सिंह नेगी एक ऐसा नाम, जो लोक की नब्ज को पकड़कर बेमिसाल बन गए।
नरेंद्र सिंह नेगीः लोक की नब्ज पकड़ी और बन गए बेमिसाल
 

जिनके गीतों में आम जनमानस अपने को पाता है। अपनी तकलीफ, अपने उल्लास, अपने लोक रंग के दर्शन एक झटके में कर लेता है। दरअसल, पहाड़ में कलाकारों के लिए बनी लीक पर चलने के रिवाज को नेगी दा ने अपने अंदाज से तोड़ा है।

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नेगी दा के पास गीतों में पहाड़ के मूल स्वभाव को जस का तस रखने का सलीका रहा, तो बदलते जमाने को स्वीकार करते हुए बेहतरीन प्रदर्शन का हुनर भी। ये ही कारण रहे, कि नेगी दा ने जो लिखा, जो गाया, उसे लोगों ने दीवानगी की हद तक पसंद किया।
 

40 साल के अपने संगीत कॅरियर में नेगी दा करीब 39 प्राइवेट एलबमों के साथ पब्लिक के बीच आए। गढ़वाली फिल्म के दस एलबम अलग हैं। इसके अलावा, नेगी दा की लोकप्रियता को देखते हुए कई अन्य संगीतकारों ने भी उनसे गीत गवाए। समय बदला, तकनीक बदली, मगर इनके साथ कदमताल करने में नेगी दा कभी पीछे नहीं रहे।
 

नेगी दा ने बदलते जमाने के सवालों पर प्रतिक्रिया देने का साहस किया। उनके इस जोखिम को लोगों ने पसंद किया, क्योंकि इसमें उनके लिए पैरोकारी थी। एक हिसाब से ये उनकी लड़ाई थी। इस संवाददाता से बातचीत में कई बार नेगी दा ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्होंने जनहित में लीक से हटकर चलने की कोशिश की, जिसे लोगों का समर्थन मिला।
 

शब्द की ताकत क्या होती, नेगी दा ने सिखाया और बताया भी। राज्य बनने के बाद उनके शब्दों की ताकत से हुक्मरान कैसे हिलते-डुलते रहे, सबको पता है। नेगी दा के करीबी गणेश खुगसाल का मानना है कि वह लोक के चितेरे हैं, इसलिए लोग उन्हें पसंद करते हैं। जनकवि डा. अतुल शर्मा का उनको लेकर अलग नजरिया है।
 

बकौल-डा. शर्मा, किसी लोक कलाकार में उन्होंने इतनी सादगी अपने जीवन में कभी नहीं देखी है। वे जितने बडे़ हैं, उतने सरल हैं। नेगी की कोशिश सच्चे अर्थों में लोक कलाकार बनने की रही है। इसलिए लोक से कभी दूर नहीं गए। उनके एक और नजदीकी कीर्ति नवानी मानते हैं कि उनकी प्रतिस्पर्धा में कई कलाकार आए, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से एक ऐसी लंबी लकीर खींची है, जिसे पार करना बेहद मुश्किल है। 
 
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