जिसने बताया था -शेल्टर होम में आते थे अधिकारी-राजनेता, वो अबतक है गायब

मोकामा शेल्टर होम से फरार हुईं सात लड़कियों में से छह बरामद हो गई हैं, लेकिन एक लड़की अबतक नहीं मिल सकी है। बताया जा रहा है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड मामले की ये लड़की मुख्य गवाह है जिसने बताया था कि शेल्टर होम में बड़े अधिकारी और राजनेता आते थे। इस लड़की की बरामदगी के लिए छापेमारी तेज कर दी गई है। जिसने बताया था -शेल्टर होम में आते थे अधिकारी-राजनेता, वो अबतक है गायब

लड़कियां भागी नहीं, भगाई गईं थीं

मोकामा में नाजेरथ अस्पताल के एनजीओ द्वारा संचालित बालिका सुधार गृह से सातों लड़कियों भागी नहीं, भगाई गईं थीं। लड़कियां बाथरूम की खिड़की का ग्रिल काटकर नहीं भागी थीं। सभी एक साथ शेल्टर होम के गेट से फरार हुई थीं। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है।

भागने के बाद सभी लड़कियां मोकामा स्टेशन पहुंचीं

लड़कियों को भगाने में शेल्टर होम के दो-तीन लोगों की संलिप्तता सामने आई है। पुलिस इसकी जांच कर रही है। भागने के बाद सभी मोकामा स्टेशन पहुंचीं। छह लड़कियां एक ट्रेन पर बैठकर मोकामा से बरौनी गई और फिर बरौनी से दूसरी ट्रेन पकड़कर दरभंगा पहुंच गईं।

एक लड़की जो बंगाल के दिनाजपुर की रहने वाली थी, वह एक युवक के साथ मोकामा से दूसरी ट्रेन से रवाना हुई। पटना पुलिस की एक टीम उसे खोजने के लिए दीनाजपुर में छापेमारी कर रही है पर वह अभी तक नहीं मिली है। 

पिछले साल छह  लड़कियां भागी थीं

दरभंगा से छह लड़कियों को पटना लाया गया है। उन्हें आशा किरण शेल्टर होम में रखा गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि आशा किरण शेल्टर होम से पिछले साल नवंबर में चार लड़कियां फरार हो गई थीं। सूत्रों के अनुसार मोकामा शेल्टर होम में 16 साल से नीचे और उससे ऊपर उम्र की लड़कियों को एक साथ रखा जाता था। जबकि, 16 साल से ऊपर की लड़कियों को अलग रखने का प्रावधान है।

घर जाने की जिद कर रही थीं लड़कियां

नाजरेथ अस्पताल द्वारा संचालित शेल्टर होम से लड़कियों के फरार होने के मामले में प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रबंधन द्वारा जानबूझकर कई तरह की लापरवाही बरती गई है। राज्य पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी गई है।

प्रथमदृष्टया यह स्पष्ट हुआ है कि लड़कियां शेल्टर होम में रहना नहीं चाहती थीं। वे घर जाना चाहती थीं। घर जाने की बेकरारी के कारण ही लड़कियां हताशा की स्थिति में पहुंच गई थीं, लेकिन शेल्टर होम प्रबंधन और समाज कल्याण विभाग ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। हैरानी इस बात की है कि अंदर लगातार लड़कियां विरोध कर रही थीं, लेकिन इसकी सूचना न तो प्रशासन को दी गई और न ही इस पर कोई मुकम्मल निर्णय ही लिया गया।

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