क्रिप्टो की अंतहीन हाइप, हम इस पागलपन से खुद को कैसे बचाएंगे?

पिछले वर्ष एफटीएक्स के पतन के बाद मैं असल में भारत में आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन की कमी से खुश था। एक हद तक कोई कह सकता है कि क्रिप्टो को बिना रेगुलेशन के ही रहना चाहिए जिससे इसमें शामिल होने वाले व्यक्ति अपने काम के नतीजों का सामना कर सकें। आखिर लोगों को उनकी अपनी शर्तों पर वित्तीय बर्बादी का जोखिम उठाने की आजादी होनी ही चाहिए।

एक दिन किराने के सामान के आर्डर के साथ मुझे बिटकॉइन एक्सचेंज का एक पैम्फलेट मिला। ये नई बात है, क्योंकि जहां तक मुझे पता है बिटकॉइन के विज्ञापन अब तक किराने के सामान में पैम्फलेट के स्तर तक नहीं पहुंचे हैं। इस पैम्फलेट में 2050 में बस पकड़ने के लिए दौड़ते हुए एक युवक को दिखाया गया था। ये युवक सोच रहा था, ”काश, पापा ने 2024 में बिटकॉइन लिया होता।”

पैम्फलेट के पीछे बिटकॉइन की कीमतों का एक ग्राफ था। साथ ही एक मैसेज भी। हर बार बिटकॉइन के आधा होने के बाद बिटकॉइन की कीमतों में उछाल आया है। फाइनेंशियल विज्ञापनों के लिहाज से ये इससे ज्यादा सरल नहीं हो सकता।

पाठक समझते ही हैं कि बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की वास्तविकता मार्केटिंग की असलियत से कहीं ज्यादा जटिल और धुंधली है। मूल्य में उछाल का वादा बड़ा लुभावना है। लेकिन क्रिप्टो का अस्थिर स्वभाव इस पर हावी है। इस तरह के पैम्फलेट इस तथ्य को नजरअंदाज करते हैं कि ये सेक्टर अचानक होने वाले रेगुलेटरी बदलावों, साइबर सुरक्षा के खतरों और बाजार में हेरफेर करने वाली स्कीमों से भरा हुआ है।

इसके अलावा, क्रिप्टो के आंतरिक मूल्य की कमी और सट्टेबाजी का स्वभाव इसे शायद ही ऐसा एसेट बनाती है जिस पर आप भरोसा कर सकें कि इसे लिया तो आपके बच्चे 2050 में सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

बेचने के इस तरीके की सबसे अजीब बात ये नहीं है कि ये क्या कह रहा है, बल्कि ये है कि ये क्या नहीं करता है। किसी भी दूसरे वित्तीय उत्पाद के उलट, इस पैम्फलेट पर कोई डिस्क्लेमर नहीं था। इस देश में (जैसा कि किसी भी अच्छी तरह से रेगुलेट होने वाले मार्केट में होता है) कोई भी व्यक्ति पर्याप्त कानूनी जांच और डिस्क्लेमर के बिना किसी भी वित्तीय उत्पाद का विज्ञापन या प्रचार नहीं कर सकता है।

मिसाल के तौर पर म्यूचुअल फंड को ही लें। चाहे किसी ने इसमें निवेश किया हो या न किया हो, उन्होंने ‘म्यूचुअल फंड बाजार जोखिमों के अधीन हैं’ सुना या पढ़ा होगा। और फिर भी, बिटकॉइन को बिना किसी चेतावनी या डिस्क्लेमर के विज्ञापित किया जा सकता है। इस पैम्फलेट में बस इतना ही लिखा था, ‘भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड’।

पिछले वर्ष एफटीएक्स के पतन के बाद, मैं असल में भारत में आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन की कमी से खुश था। एक हद तक, कोई कह सकता है कि क्रिप्टो को बिना रेगुलेशन के ही रहना चाहिए, जिससे इसमें शामिल होने वाले व्यक्ति अपने काम के नतीजों का सामना कर सकें। आखिर लोगों को उनकी अपनी शर्तों पर वित्तीय बर्बादी का जोखिम उठाने की आजादी होनी ही चाहिए।

हालांकि, उम्मीद के विपरीत एफटीएक्स घोटाला क्रिप्टो के ताबूत में आखिरी कील साबित नहीं हुआ। इससे पता चलता है कि क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट ग्लोबल फाइनेंस में स्थाई तौर पर कायम रह सकती है।

हम एक ऐसी स्टेज में पहुंच गए हैं जहां हर कोई सोचता है कि क्रिप्टोकरेंसी एक वैध या कानूनी तौर पर स्वीकार्य एसेट क्लास है। हालांकि, कुछ रेगुलेटरी बाधाएं हो सकती हैं, लेकिन अंतत: इन्हें दूर कर दिया जाएगा। जैसा कि मुझे मिले सेल्स के पैम्फलेट में दावा किया गया था, मूल्य में एक और उछाल होना ही है, जिसके नतीजे में क्रिप्टो रखने वालों की पूंजी में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।

आम निवेशक के तौर पर हमें जिन सवालों का जवाब देना है, वो ये हैं कि हम इसके बारे में क्या करने जा रहे हैं? हम इस पागलपन से खुद को कैसे बचाएंगे? अंत में, इस खतरनाक खेल में सावधानी से आगे बढ़ने की जिम्मेदारी हर किसी पर आती है। तुरंत पैसा पाने का लालच आपके पैसों से जुड़े फैसलों के आधार का सिद्धांत नहीं हो सकता। कुछ लोग हैं जो इसे समझेंगे और कुछ ऐसे हैं जो नहीं समझेंगे। आप किस समूह का हिस्सा बनेंगे?

Back to top button