कान में ये बात बोलने के बाद ही जल्लाद देता है कैदी को फांसी

जब किसी अपराधी को फांसी की सजा सुनाई जाती है तो फैसला सुनाने वाला जज भी वो पेंन की निब तोड़ देता है, जिससे आरोपी की सजा लिखी जाती है। इसका मतलब यह होता है कि अब उस व्यक्ति की जिंदगी खत्म हो रही है।एेसे ही कैदी को फांसी की सजा देने पर भी कुछ नियम होते हैं, जिन्हें जेल में हमेशा निभाया जाता है और उन नियमों का पालन करना ही पड़ता है। 

फांसी देने के नियम में फांसी का फंदा, फांसी देने का समय, आदि प्रकिया शामिल होती है। फांसी देते वक्त उस वक्त जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जल्लाद और डॉक्टर मौजूद रहते हैं। इनके बिना फांसी नहीं दी जाती है। 

जिस अपराधी को फांसी दी जाती है उसके आखिरी वक्त में जल्लाद ही उसके साथ होता है।  सबसे बड़ा और सबसे मुश्किल काम जल्लाद का ही होता है। फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कानों में कुछ बोलता है जिसके बाद वह चबूतरे से जुड़ा लीवर खींच देता हैं। जल्लाद बोलता है “हिंदूओं को राम राम और मुस्लिमों को सलाम। मै अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं। मैं आपके सत्य के राह पे चलने की कामना करता हूं”। 

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