अभिभावक भूल से भी बच्चे के सामने न करें ये बातें!

बार-बार मजाक में टोकने, तंज कसने या फिर गलत उपमा देकर बात करने से बच्चों पर गहरा असर पड़ता है। कई बच्चे डरे-सहमे रहने लगते हैं। बच्चे माता-पिता से ही जीवन के फलसफे सीख कर बड़े होते हैं। बाहरी दुनिया में कदम रखने से पहले वे घर पर ही पहली शिक्षा प्राप्त करते हैं। ऐसे में अगर उन्हें अभिभावकों से ही कुछ गलत सीख मिलती है तो वह जिंदगी भर के लिए उनके दिमाग में बैठ जाती है। कई माता-पिता बच्चों से कुछ ऐसी बातें बोल देते हैं, जिनसे वे दुनिया को लेकर भी ऐसी ही धारणा या नजरिया बना लेते हैं। बच्चों के चाल-चलन, रहन-सहन और खान-पान को लेकर कई बार अभिभावक मजाक में टोक देते हैं और ये बातें भी बच्चे के व्यवहार में शरीक हो जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता अनजाने में भी गलतियों से बचें, क्योंकि इसका बच्चों पर गहरा असर होता है।

लड़कियों की तरह रोता है

अक्सर हमने सुना है कि मां, बेटे के रोने पर उससे कहती   है कि क्यों तुम लड़कियों की तरह रो रहे हो? ऐसे में बच्चा यही सोचेगा कि लड़कियों का   ही स्वभाव है रोना, लड़कों को इसका अधिकार नहीं है। हम ऐसी बातें करके बच्चों के अंदर गलत सोच डालते हैं। ऐसा बोलने से बचना चाहिए।

चाय पीने से रंग काला हो जाएगा

हम हमेशा सुनते हैं कि मां, बच्चों को चाय पीने से रोकती है। खासकर लड़कियों के रंग को लेकर ऐसा कहा जाता है कि चाय पीने से रंग काला हो जाएगा और दूध पीने से गोरा। हम बच्चियों से दूध या चाय के सेहतमंद फायदे न बताकर उनके दिमाग में रंगभेद की एक अवधारणा डाल देते हैं, जो उनके साथ ही बड़ी होती जाती है। चाय पीने-न पीने से गोरे-काले होने का कोई प्रमाण नहीं है।

कान मिर्च जैसे लाल हो गए

यह बात भी आपने कई माता-पिता के मुंह से सुनी होगी। जब बच्चे को गुस्सा आता है तो मां कहती है कि तेरे कान मिर्ची जैसे लाल हो गए हैं। मतलब, आप गुस्से को मिर्च की उपमा दे रही हैं। सुनने में साहित्यिक लग सकता है, लेकिन बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ता है।

बॉडी इमेज पर कमेंट

अभिभावक लगातार बच्चे की खाने-पीने की आदतों को लेकर टोकते हैं और उनके शरीर की बनावट पर कमेंट करते हैं। आपकी इस आदत से बच्चा अपने लुक को लेकर असुरक्षित महसूस कर सकता है। वह हमेशा डरा-सहमा रहने लगेगा। इसलिए बच्चे कैसे भी हों, उनकी बॉडी इमेज पर कभी कोई कमेंट न करें।

उपमा देकर बात न करें

अभिभावकों की आदत होती है कि वे बच्चों की हरकतों, आदतों और खान-पान को उपमा देकर व्याख्या करते हैं। उन्हें लगता है कि वे मजाक से बच्चों को ऐसा कह रहे हैं, लेकिन इन बातों का बच्चों के व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ता है और उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है। उन्हें लगने लगता है कि वे ऐसे ही हैं, क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें ऐसा समझते हैं।

तंज कसने से हीन भावना

फैमिली रिलेशनशिप काउंसलर उषा माहेश्वरी कहती हैं, अगर आप बच्चों को सुधारने के लिए उनकी बुरी आदतों पर रोक-टोक करना चाहती हैं तो अपने तरीके पर ध्यान दें। बच्चों को प्यार और सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करके समझाएं। उनको ऐसे सकारात्मक लोगों का उदाहरण दें, जो जीवन में सफल रहे हों। उनकी तुलना किसी अन्य बच्चे से न करें। इसके अलावा तंज कसकर बच्चों से कभी बात न करें। इससे उनके अंदर हीन भावना पैदा होती है। अगर आप ऐसा करेंगी तो बच्चे दूसरों को भी इसी नजर से देखेंगे और आत्मविश्वास खो देंगे।

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