कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल-प्रियंका पर हुई चर्चा

नई दिल्ली: कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में शनिवार को अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका और फैसला नेतृत्व पर छोड़ दिया गया। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और विधायक दल की नेता अराधना मिश्रा ने नेतृत्व से आग्रह किया कि अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनाव लड़ना चाहिए। हालांकि इस पर कोई फैसला नहीं हुआ। सीईसी की बैठक में अमेठी और रायबरेली के साथ ही पंजाब की लोकसभा सीटों को लेकर चर्चा की गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और कई अन्य नेता मौजूद थे।

वेणुगोपाल ने अमेठी और रायबरेली के बारे में पूछे जाने पर नहीं दिया कोई जवाब
बैठक के बाद वेणुगोपाल ने अमेठी और रायबरेली के बारे में पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं दिया, हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की अगली सूची एक-दो दिन में जारी कर दी जाएगी। अब तक पार्टी देशभर में 317 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है लेकिन अमेठी और रायबरेली से अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बार रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और वह राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं। उन्होंने दो दशक तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जीतीं चुनाव
राहुल गांधी 2004 से 2019 तक अमेठी से लोकसभा सदस्य रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राहुल को 55,120 वोटों के अंतर से हराने वाली स्मृति ईरानी कांग्रेस नेता को फिर से उनके खिलाफ चुनाव लड़ने की खुली चुनौती दे रही हैं। राहुल पर अमेठी से “भागने” का आरोप लगाने से लेकर यह कहने तक कि उन्होंने पिछले 15 सालों में इस इलाके में शायद ही कोई विकास किया है, ईरानी पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस नेता का उपहास करने और उन्हें बदनाम करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। इन हमलों पर राहुल ने ज्यादातर चुप्पी साधे रखी है। यहां तक कि जब उनकी भारत जोड़ो न्याय यात्रा अमेठी से गुजरी, तब भी राहुल ने स्मृति पर सीधे निशाना साधने के बजाय जाति जनगणना और भारत-चीन तनाव जैसे बड़े मुद्दों पर बात की।

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