सीएम मनोहर लाल: संतों, गुरुओं व महापुरुषों की शिक्षा का प्रचार कर रही है हरियाणा सरकार

विकासपरक योजनाओं का क्रियान्वयन करने के मामले में जहां हरियाणा ने पूरे देश भर में विभिन्न मामलों में एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है, तो वहीं अध्यात्म के प्रति लोगों खासकर युवाओं और विद्यार्थियों में नई अलख जगाने की दिशा में भी मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कई सार्थक कदम बढ़ाएं हैं। इसी की बानगी है कि हरियाणा में अब कक्षा छठी से 12वीं के पाठ्यक्रम में गीता के श्लोकों को शामिल किया गया है। इसके अलावा प्रदेश में संतों, महापुरुषों की शिक्षा का प्रसार करने की दिशा में भी योजनाएं लागू की गई हैं और प्रदेशभर में संतों, महापुरुषों की जयंतियों पर राज्यस्तरीय आयोजन किए जाते हैं। अध्यात्म को लेकर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के संदर्भ में रविवार को स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरिद्वार में आयोजित संतों के समारोह में विस्तार से प्रकाश भी डाला।

उल्लेखनीय है कि रविवार को जूनापीठाधीश्वर के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज के श्रीपंचदशनाम जूनाअखाड़ा की आचार्यपीठ पर पदस्थापना के दिव्य 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर श्रीदत्त जयंती पर हरिहर आश्रम, कनखल, हरिद्वार में दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत ने किया। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अलावा गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, स्वामी रामदेव, केन्द्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, सांसद व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी, महाराष्ट्र के पूर्व-राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सहित अनेक संत व राजनेता उपस्थित थे। इस समारोह में खास पहलू ये रहा कि देश के नामी इन बड़े संतों ने जहां संत वाणी के महत्व पर प्रकाश डाला तो वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संतों की समाज में अहम और महती भूमिका का उदाहरण सहित उल्लेख किया और बताया कि प्रदेश सरकार किस तरह संतों, गुरुओं और महापुरुषों की सीख का प्रचार प्रसार कर रही है। मुख्यमंत्री खट्टर ने जब अपने संबोधन के दौरान संतों की वाणी का समाज पर पड़ते प्रभाव और संतों की ही सीख का सरकार के अनुसरण का जिक्र किया तो सभी संतों ने मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना भी की।

संतों की सीख का यूं पड़ता है समाज पर प्रभाव

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरिद्वार के श्रीहरिहर आश्रम में आयोजित समारोह के दौरान अपने संबोधन में बताया कि संतों की वाणी का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि बेशक सरकार की ओर से व्यसनों पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को काफी समझाने का प्रयास किया जाता है, मगर जब एक संत इनके खिलाफ आवाज उठाता है, तो मनुष्य संतों की बात को महत्व देते हुए व्यसनों के तिरस्कार की भावना अपने भीतर जागृत करता है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार बाबा रामदेव ने योग की अलख जगाई, तो आज पूरे विश्वभर में लोगों ने योग की महता को समझा। उन्होंने बताया कि संतों द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान के यूं तो बहुत बड़े उदाहरण देखने को मिले हैं, मगर इनमें एक ये है कि संतों की ही बदौलत शासकीय और राजकीय व्यवस्था में गुणात्मक सुधार हुए हैं।

उन्होंने कहा कि संत परंपरा आदिकाल से चली आ रही है और उस दौर में जब राजाओं के राज्यभिषेक हुआ करते थे, तो संत ही उन्हें इस बात का बोध करवाते थे कि यदि राजा ने अपने राजधर्म का उल्लंघन किया, तो ये संत ही उसे दंड भी दे सकते हैं। मसलन शासकीय व्यवस्था पर भी संतों की सीख का अपना ही एक बड़ा महत्व रहा है। मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कुछ राजनेता ऐसे भी हैं तो संतों, महापुरुषों की सीख के महत्व को भूल अपने पद और वंशावली को प्रतिष्ठित करने का प्रयास कर रहे हैं और यही सोच समूल व्यवस्था को वास्तविक लक्ष्य से भटका रही है।

‘संत परम्परा ही देती है समाज को सही गति और दिशा’

इस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संत समाज के मानव जीवन में मूल्यों के संदर्भ में कहा कि सही मायने में संत परंपरा ही समाज को सही गति और दिशा दे रही है और यदि ये परंपरा न होती, तो आज संभवत: मानव जीवन दिशाहीन होता। हर तरफ अशांति का माहौल होता मगर संतों की ही बदौलत कई व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है। उनकी नीति ने समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संतों से उचित मार्गदर्शन मिलता है और उनकी सीख से जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा भी मिलती है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इन्हीं संतों की सीख का ही प्रमाण है कि प्रदेश सरकार ने हरियाणा में संत महापुरुष विचार प्रसार सम्मान योजना शुरू की है। इसके तहत जहां हरियाणा में संतों की जयंतियों पर बड़े आयोजन करती है, तो वहीं इन्हीं संतों के नाम पर संस्थानों का निर्माण करवाया जा रहा है, ताकि नई पीढ़ी को उनके विचारों से प्रेरणा मिल सके। इसके अलावा संतों की ही सीख का प्रमाण है कि वर्ष 2015 में हरियाणा सरकार ने लिंगानुपात की बिगड़ी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जन आंदोलन शुरू किया जिसका बड़ा उदाहरण ये है कि आज हरियाणा ने देशभर में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा कि नारी समाज को समानता का अधिकार प्रदान करने के लिए भी प्रदेश सरकार संकल्पबद्ध है।

स्वामी अवधेशानंद व स्वामी ज्ञानानंद के प्रयासों को सराहा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज व गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रयासों की सराहना करते हुए अपने संबोधन में बताया कि स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज अपने प्रवचनों से जहां समाज को नई दिशा देने व युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं तो वहीं स्वामी ज्ञानानंद जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने गीता के प्रचार प्रसार करने के लिए अनेक कारगर कदम उठाए हैं। इसके तहत जहां स्कूली पाठ्यक्रमों में गीता के श्लोकों को शामिल किया गया है तो वहीं हरियाणा से शुरू हुई इस मुहिम के दौरान विदेशी धरती पर भी गीता के संदर्भ में बड़े आयोजन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गीता सही मायने में सभी धर्मांे का मुख्य आधार है और गीता में वास्तविक जीवन को परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भले ही अर्जुन को गीता का ज्ञान देने के साथ साथ युद्ध के लिए खड़ा किया था, मगर इस युद्ध के मायने सही मायने में शांति कायम करना थे और ऐसे में कहा जा सकता है कि गीता ही शांति के द्वार खोलती है। मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि दोनों ही संतों ने देश-विदेश में गीता व अध्यात्मवाद के प्रति लोगों में ऐसी भावना जागृत की है आज विश्वभर में अध्यात्म व गीता के महत्व को लोग समझने लगे हैं।

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