हरिद्वार: चार साल में हाथियों ने आठ लोगों को उतारा मौत के घाट, 25 से ज्यादा घायल

हरिद्वार में चार सालों में हाथी आठ लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। 25 से ज्यादा लोग हाथी की चपेट में आने से घायल हो चुके हैं। इस वर्ष हाथी द्वारा किसी को मारे जाने का ये दूसरा मामला है। भेल उपनगरी में लोगों ने शाम होते ही घरों से बाहर निकलना छोड़ दिया है। वहीं वन विभाग भी रातभर हाथियों को भगाने में लगा रहता है।हरिद्वार: चार साल में हाथियों ने आठ लोगों को उतारा मौत के घाट, 25 से ज्यादा घायल

भेल उपनगरी से लेकर शांतिकुंज तक का अधिकांश इलाका राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से लगा हुआ है। पार्क की सीमा खुली होने के कारण हर वर्ष सर्दियों में हाथियों की आवाजाही आबादी में बढ़ जाती है, लेकिन बीते तीन वर्षों से भेल उपनगरी में हाथियों की चहलकदमी काफी बढ़ गई है। आंकड़ों पर नजर डाले तो 2015 में दो, 2016 में दो, 2017 में दो और 2018 में दो लोगों को हाथी मौत के घाट उतार चुके हैं। 
 

भेल में सेक्टर-एक, सेक्टर-दो, सेक्टर-चार और शिवालिक नगर में हर सप्ताह दो बार पीठ बाजार लगता है। बाजार खत्म होने के बाद सब्जी आदि की गंदगी को वहीं फेंक दिया जाता है।
गन्ने का जूस निकालकर उसके कूड़े को भी पीठ बाजार के पास ही फेंका जाता है। इस कूड़े की सुगंध से हाथी सहित कई अन्य वन्यजीव आबादी की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

भेल में भी लोगों के आंगन में गन्ना, केला आदि फल होने के करण हाथी इधर का रुख कर रहे हैं। डीएफओ आकाश वर्मा ने बताया कि इलाके में हाथियों को उनकी मनपसंद चीजे मिल रही हैं। इस कारण हाथियों सहित चीतल, सांभर, गुलदार, हीरण, बारहसिंगा और खरगोश आदि की आवाजाही बढ़ गई है। जानवरों की चहलकदमी को रोकने के लिए लोगों को विभाग का साथ देते हुए क्षेत्र को गंदगी मुक्त करना होगा।
 

राजाजी नहीं ले रहा कोई सुध

दरअसल टस्कर हाथी की चहलकदमी ड़ेढ माह से बढ़ी है। डीएफओ ने टस्कर हाथी के आते ही किसी अप्रिय घटना होने की आशंका जताई थी। इसके बारे में कई बार उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया।

कुछ दिन पहले भी देहरादून में एक आईएफएस अधिकारी से आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई थी, लेकिन वन प्रभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व के उच्चाधिकारियों ने टस्कर हाथी को पकड़ने के मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

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