सैनिटाइजर में प्रयुक्त अल्कोहल का शराब से कोई संबंध नहीं : सैयद रफत

लखनऊ : देश में लागू लॉकडाउन में ढील के क्रम में आठ जून से कुछ शर्तों के साथ धार्मिक स्थल को खोलने की इजाजत दी गयी। इसके लिए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार मंदिर-मस्जिद सहित ऐसे सभी धर्म स्थलों के प्रमुख द्वार पर सैनिटाइजर मशीन लगाने की बात कही गयी है जिससे मंदिर-मस्जिद में प्रवेश से पहले लोगों को हाथ को सैनिटाइज कर ही अंदर प्रवेश करना होगा। हालांकि इसके लेकर कई जगह विरोध भी होने लगा है कि सैनिटाइजर में अल्कोहल होता है। जानकारी के अनुसार सैनिटाइजर में 70 प्रतिशत अल्कोहल होता है। इसको लेकर लोग विरोध कर रहे है क्योंकि अल्कोहल का प्रयोग शराब बनाने में होता है।
इस बारे में मुस्लिम इंटेलेक्चुअल फोरम के अध्यक्ष सैयद रफत जुबैर रिजवी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अल्कोहल तीन प्रकार के होते है। पहला मेथेनाल, दूसरा आइसोप्रोपेनल व तीसरा एथेनाल। इसमें पहले दो टाइप है उनका शराब या नशे से कोई वास्ता नहीं है। मेथेनाल से कार की पेंट व नेलपालिश व अन्य उत्पाद बनते है। वही आइसोप्रोपेनल के प्रयोग से डिसइन्फेक्शन व मेडिकल सम्बन्धी कार्यो के लिए सैनिटाइजर बनता है। इसमें तीसरे प्रकार यानि एथेनाल.का प्रयोग शराब व अन्य नशीले पेय बनाने में होता है. सैयद रफत ने इस बारे में अपने फेसबुक प्रोफाइल में एक वीडियो को शेयर करते हुए कहा कि सैनिटाइजर बनाने में जो आइसोप्रोपेनल प्रयोग होता है। उससे नशा नहीं होता है. इसकी छोटी मात्रा पीना भी जानलेवा होता है। ये घर में प्रयोग, हाथ साफ़ करने व अन्य सफाई के लिए होता है।
उन्होंने कहा कि पीने के लिए शराब या अल्कोहल बनता है वो अंगूर से भी बनता है। अब अगर अल्कोहल हराम है तो अंगूर हलाल कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि अल्कोहल सेब व जौ से भी बनता है। उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि कुरान में शराब का जिक्र कही नहीं है। इसकी जगह खुम्र का जिक्र है यानि नशा। उन्होंने कहा कि उर्दू ट्रांसलेशन करते हुए खुम्र को शराब कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि नशे की हर चीज इस्लाम में हराम है यानि जिस चीज़ के खाने या इस्तेमाल से नशा हो जाता है वो हराम है। उन्होंने कहा कि कुरान में तीन जगह खुम्र का जिक्र है। बताते चले कि कई मंदिर व मस्जिदों में सैनिटाइजर के इस्तेमाल को लेकर विरोध के स्वर देखने को मिले है।

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