करतारपुर कॉरिडोर बनने से अमरिंदर सिंह उत्साहित, लेकिन नवजोत सिद्धू से है नाखुश, ये है वजह

करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण होने से सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह काफी खुश और उत्साहित हैं, लेकिन वे मंत्री नवजोत सिद्धू से नाखुश हैं। मुख्यमंत्री ने सूबे में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व की तैयारियां भी शुरू करा दी हैं, लेकिन अब उन्हें यह नहीं मालूम कि वे करतारपुर साहिब में कब माथा टेकने जा सकेंगे। कैप्टन के इस फैसले ने पाकिस्तान जाने का उनका रास्ता रोक दिया है कि जब तक पाकिस्तान भारत के साथ शांति के रास्ते पर नहीं चलेगा, वे वहां नहीं जाएंगे।करतारपुर कॉरिडोर बनने से अमरिंदर सिंह उत्साहित, लेकिन नवजोत सिद्धू से है नाखुश, ये है वजह

वैसे कैप्टन स्वयं भी कह चुके हैं कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। राजनीतिक गलियारों में कैप्टन के इस फैसले के कई अन्य मायने भी निकाले जा रहे हैं। सबसे प्रमुख है कि कैप्टन पाकिस्तान में कॉरिडोर के आधारशिला समारोह में सिद्धू की उपस्थिति से खुश नहीं हैं। उन्होंने सिद्धू को वहां नहीं जाने की सलाह भी दी लेकिन सिद्धू नहीं माने। कांग्रेस के दिग्गज नेता यह मान रहे हैं कि सिद्धू को पार्टी आलाकमान की तरफ से पाकिस्तान जाने के लिए हरी झंडी मिल गई थी, इसलिए उन्होंने कैप्टन की सलाह भी नहीं मानी।

यह भी माना जा रहा है कि आलाकमान के इशारे पर ही कैप्टन ने सिद्धू को पाक जाने की इजाजत दे दी। पार्टी का मानना है कि कॉरिडोर निर्माण के कदम ने सिख समुदाय में सिद्धू को और लोकप्रिय बना दिया है। इस तरह सूबे में कैप्टन के बाद सिद्धू बड़े नेता के रूप में उभरे हैं। प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और कैप्टन की कैबिनेट के ही कई मंत्री भी सिद्धू के समर्थन में आगे आए हैं।

पाकिस्तान के रवैये में कभी कोई बदलाव नहीं आया

पाक सेना के हमलों पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कैप्टन इससे पहले, संसद पर हमले के तीन साल बाद और कारगिल युद्ध के चार साल बाद पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। उस समय पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री चौधरी परवेज इलाही ने उन्हें सुल्तान नामक घोड़ा तोहफे में दिया, जिसे नियमों के चलते वाघा सीमा पर ही रोक दिया गया था। उसके बाद सुल्तान की जगह कैप्टन को स्टालिन भेंट किया गया, लेकिन भारतीय सेना ने उसे भी वाघा पर ही रोक लिया।

इस दौरान भारत के प्रति पाकिस्तान के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। कॉरिडोर निर्माण को लेकर भी उनके नए एलान के बाद यह माना जा रहा है कि देर सवेर कैप्टन इसी कॉरिडोर के रास्ते पाक जाकर गुरुद्वारा साहिब में माथा अवश्य टेकेंगे। इस बीच, सोमवार को डेरा बाबा नानक में कॉरिडोर की आधारशिला कार्यक्रम से कैप्टन ने सिद्धू को भले ही दूर रखा लेकिन कॉरिडोर का श्रेय लेने की होड़ में सिद्धू अकालियों से आगे निकल गए।

कैप्टन भी जब सिद्धू को पाक जाने से नहीं रोक सके तो उन्होंने भी यह कहते हुए खुद को क्रेडिट वार का हिस्सा बना लिया कि कॉरिडोर निर्माण के लिए उन्होंने और डा. मनमोहन सिंह ने प्रयास किए थे और श्री गुरु ग्रंथ साहिब की 400वीं वर्षगांठ के मौके पर कॉरिडोर के मुद्दे को पाकिस्तानी नेता परवेज मुशर्रफ और परवेज इलाही के समक्ष उठाया था।

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