जानिए छठ पूजा के दिन  सूर्य मन्त्र व आरती का जाप जरूर करें..

 छठ पूजा के दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए मन्त्रों का उच्चारण किया जाता है। आज छठ पर्व के तीसरे और महत्वपूर्ण दिन सूर्य मन्त्र व आरती का जाप जरूर करें।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन भगवान सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन व्रती महिलाएं डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं और उन्हें विशेष भोग अर्पित करती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि आज यानि 30 अक्टूबर 2022 के दिन है। मान्यता है कि आज भगवान सूर्य की आराधना करने से और उनके मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। आज सूर्य देव की आरती का भी विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि बिना आरती के पूजा सफल नहीं होती है, इसलिए आज सूर्य देव की आरती जरूर करें।

सूर्य देव मंत्र

  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।।
  • ॐ सूर्याय नम: ।।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ।।
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: ।।
  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।।

सूर्य देव आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।। ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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