व्यक्ति को गुस्सैल और आक्रामक बना सकता है मिसोफोनिया

आपने देखा होगा कुछ लोगों को किसी खास तरह की आवाजों से एक अलग ही तरह की डिस्टर्बेंस होती है। जहां बारिश की बूंदों की आवाज कुछ लोगों को राहत दिलाती है, तो वहीं कुछ लोगों को इरीटेट करती हैं। चलता हुआ पंखा, कुछ घिसना, कीबोर्ड की ठकठक, धीमी आवाज में बातें करना, गुनगुना, खाना चबाने की आवाज, चाय पीने की सुड़सुड़ाहट मतलब ऐसी कई ध्वनियां इसमें शामिल हैं। ऐसी आवाजों से कुछ लोग एकदम परेशान हो जाते हैं और अजीब सी हरकत करने लगते हैं। इन आवाजों को सुनकर उन्हें बस वहां से भाग जाने का दिल करता है क्योंकि इससे सिरदर्द और उलझन महसूस होती है। ये एक तरह की समस्या है। जिसे मिसोफोनिया कहते हैं, जानेेंगे आज इसके बारे में।

क्या है मिसोफोनिया?
यह एक तरह का साउंड डिस्ऑर्डर हो सकता है। मिसो और फोनिया दो अलग-अलग ग्रीक वर्ड हैं। जिसमें मिसो का मतलब होता है ‘नफरत’ और ‘फोनिया’ मतलब साउंड। कुछ आवाजों से अजीब सी उलझन पैदा होती है। इन्हें सुनते ही गुस्सा आने लगता है और जी चाहता है बस किसी तरह इस आवाज से छुटकारा मिले।

ऐसे होते हैं लक्षण
मिसोफोनिया के लक्षणों में सबसे आम है- ऐसी आवाज के प्रति एकदम से रिएक्शन, मतलब शारीरिक प्रतिक्रिया देना। जो आवाजें ट्रिगर करती हैं, उससे व्यक्ति के व्यवहार और चेहरे के हाव-भाव बदल जाते हैं, वह जोर-जोर से चिल्लाता है, गुस्साता है। इस सिंड्रोम का शिकार व्यक्ति आक्रामक हो जाता है। ये लक्षण हल्के हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों में गंभीर भी हो सकते हैं। इस समस्या के चलते व्यक्ति सामाजिक रूप से कटने लगता है। लोगों की भीड़ में रहने उसे पसंद नहीं होता। जिसके चलते प्रोफेशनल और पर्सनल रिश्तों पर भी फर्क पड़ता है।

मिसोफोनिया का ट्रीटमेंट
यह कोई बहुत सीरियस मेंटल-फिजिकल समस्या नहीं है, जिस वजह से इसका कोई ऐसा खास ट्रीटमेंट भी नहीं है। इसके लक्षण हल्के हों, तो खुद ही इसे मैनेज किया जा सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थैरेपीज सजेस्ट की जाती हैं। इसमें किसी तरह के दवाइयां नहीं दी जाती। डीप ब्रीदिंग, एक्सरसाइज, अच्छी नींद जैसी नॉर्मल एक्टिविटीज से काफी फायदा मिलता है।

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