राजधानी में कोरोना के नए वैरिएंट का पहला मामला आया सामने!

भारत में एक बार फिर कोरोना महामारी तेजी से बढ़ रही है। हर दिन नए नए मामले दर्ज हो रहे हैं। अब दिल्ली ने नए वैरिएंट जेएन.1 की पुष्टि हो चुकी है। 

मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में बुधवार को कोविड-19 के सब वैरिएंट जेएन.1 का पहला मामला सामने आ गया है। अभी दिल्ली में 35 मामले एक्टिव हैं। जिसमें से बुधवार को नौ नए मामले सामने आए हैं। 28 साल का शख्स दिल्ली का रहना वाला नहीं है। निजी अस्पताल में रेफर किया गया था। इस शख्स के सैंपल को जीनोम सीक्वेंसी के लिए भेजा गया था और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था।
सौरभ भारद्वाज ने कोरोना के हालात पर दी जानकारी
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने बताया कि हमने दिल्ली में आरटीपीसीआर परीक्षण को शुरू कर दिया है। हर दिन 250 से 400 आरटीपीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिन दिल्ली में दो नए मरीज मिले। फिलहाल, अभी अस्पताल में कुल चार से पांच मरीज भर्ती हैं। अभी तक किसी भी मरीज की संक्रमण की वजह से मौत नहीं हुई है।
देश में तेजी से फैल रहा कोरोना
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सुबह आठ बजे अद्यतन आंकड़ें जारी किए गए। पिछले 24 घंटे में संक्रमण से तीन और लोगों की मौत हुई, जिनमें से दो कर्नाटक और एक गुजरात से है। पांच सितंबर तक मामलों में कमी दर्ज की गई थी। लेकिन ठंड का मौसम आते ही मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोविड-19 का एक नया वैरिएंट सामने आने से भी स्वास्थ्य महकमे की चिंता बढ़ गई है।
2020 की शुरुआत में महामारी अपने चरम पर थी, तब हर दिन आने वाले मरीजों की संख्या लाखों में थी। तब से देश भर में लगभग चार वर्षों में 4.5 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं। वहीं, 5.3 लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, , बीमारी से उबरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 4.4 करोड़ हो गई है और मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 98.81 प्रतिशत है। बता दें, मामले की मृत्यु दर 1.19 प्रतिशत है।देश में अब तक कोविड टीकों की 220.67 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं।
जीनोम सीक्वेंसिंग क्या है और जरूरी क्यों?
जीनोम यानी किसी जीव में मौजूद आनुवांशिक तत्व। जीनोम सीक्वेंसिंग तकनीक वैज्ञानिकों को वायरस के डीएनए व आरएनए में मौजूद आनुवांशिक सूचनाओं को जानने और परिभाषित करने में मदद करती है। इससे किसी मरीज में मिला वायरस कहां से आया जाना जाता है।

वैज्ञानिक जानने में जुटे हैं कि वायरस फैलते हुए किस प्रकार से विकसित होता है। कोरोना के एक हजार जीनोम विश्व में पहचाने गए हैं। वैज्ञानिकों के पास वायरस की पूरी सीक्वेंसिंग होगी तो महामारी बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी।
ऐसे फैल रहा वायरस
बिल्कुल! वायरस जब भी अपना रूप बदलेगा, उसके जीनोम सीक्वेंस से वैज्ञानिक जान सकेंगे। किसी खास जगह मिला वायरस वहां कैसे और किस व्यक्ति के जरिये आया, उसने अपना रूप कितने समय में और किस व्यक्ति में बदला, यह कुछ ऐसी जानकारियां हैं, जिनके मिलने से वायरस के प्रसार की मात्रा और समय का सही आकलन हो सकता है।

वायरस भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार भी स्वयं को बदलता है, ऐसे में उसके किसी खास स्वरूप के मूल ठिकानों को पता लगाया जा सकता है। जैसे भारत में वायरस चीन से आया या यूरोप से, देश में वह किन जगहों पर पनपा, किन दूसरे क्षेत्रों में, किसके जरिये और कब फैला आदि बातों का पता लगाया जा सकता है।
लोगों के इलाज में इससे क्या मदद मिलेगी?
जीनोम सीक्वेंस मालूम होने पर एक अनुमान मिल सकता है कि कितने लोगों में, किस खास क्षेत्र में यह वायरस फैला है। केवल पॉजिटिव टेस्ट से मिली मरीजों की संख्या ही नहीं, बल्कि इस अनुमान से आंकी गई संख्या के अनुसार इलाज के लिए पहले से तैयारियां की जा सकती हैं।

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