रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट निवेश की अनुमति देने वाला महाराष्ट्र बना पहला राज्य

थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को पुणे में मोशी के अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी कन्वेंशन सेंटर में महाराष्ट्र एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) रक्षा प्रदर्शनी 2024 का दौरा किया। महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित की जा रही इस प्रदर्शनी में महाराष्ट्र के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, निजी कंपनियों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रयोगशालाओं और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाई (डीपीएसयू) की स्वदेशी क्षमताओं तथा नवाचारों को प्रदर्शित किया जा रहा है।

महाराष्ट्र बधाई का पात्रः जनरल पांडे

जनरल मनोज पांडे ने इस अवसर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था, औद्योगिक विकास, निर्यात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आकर्षण में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक होने के लिए महाराष्ट्र बधाई का पात्र है।

सेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट क्षेत्र को निवेश की अनुमति मिलने के बाद महाराष्ट्र रक्षा विनिर्माण नीति तैयार करने वाला भारत का पहला राज्य था। महाराष्ट्र ने प्रोत्साहन पैकेज योजना में विमान निर्माण तकनीक और रक्षा विनिर्माण को भी महत्वपूर्ण क्षेत्र घोषित किया है।

इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र देश के विमानों, युद्धपोतों और नौकाओं के उत्पादन में 20 प्रतिशत से ज्यादा तथा हथियारों एवं गोला-बारूद के राष्ट्रीय उत्पादन में 30 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहा है। ये आंकड़े रक्षा औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

रक्षा उत्कृष्टता में नवाचार पर जोर

जनरल मनोज पांडे ने कहा कि हमारी क्षमता विकास आवश्यकताओं को पूरा करने में आत्मनिर्भरता के हिस्से के रूप में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा स्टार्ट अप इकोसिस्टम दोनों का लाभ उठाना भारतीय सेना के लिए एक फोकस क्षेत्र रहा है। सेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा उत्कृष्टता में नवाचार (आइडेक्स) खरीद के तहत सभी परियोजनाओं को स्टार्ट अप के माध्यम से आगे बढ़ाया जाना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में आइडेक्स पहल के तहत 400 करोड़ रुपये की लागत वाली भारतीय सेना की 55 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें कुल 65 स्टार्ट अप भी शामिल हैं। थल सेनाध्यक्ष ने कहा है कि रक्षा क्षेत्र में उपयोग के लिए सीमित मात्रा में उपकरणों की खरीद के उद्देश्य से 70 करोड़ रुपये के चार अनुबंध संपन्न हुए हैं।

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