143 देशों के ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स में 126वें स्थान पर भारत

143 देशों की ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स (वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक) में भारत 126वें स्थान पर है। बुधवार को जारी इस इंडेक्स में फिनलैंड लगातार सातवीं बार शीर्ष पर है और हमास के साथ पांच महीनों से जारी युद्ध के बावजूद इजरायल पांचवें स्थान पर है। यूएन इंटरनेशनल डे आफ हैप्पीनेस के अवसर जारी इंडेक्स में भारत से नीचे लीबिया, इराक, फलस्तीन और नाइजर जैसे देश हैं।

यह रिपोर्ट गैलप, द आक्सफोर्ड वेलबीइंग रिसर्च सेंटर, द यूएन सस्टेनेबल डेवलेपमेंट सोल्यूशंस नेटवर्क और डब्ल्यूएचआर एडिटोरियल बोर्ड की साझीदारी से बनाई गई है। इसका प्रकाशन सबसे पहले 2012 में किया गया था और तब से पहली बार अमेरिका (23वां स्थान) शीर्ष 20 देशों में से बाहर हो गया है। इसका कारण वहां 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों का नाखुश होना है।

अफगानिस्तान इंडेक्स में आखिरी पायदान पर है, जबकि पाकिस्तान 108वें स्थान पर है। इसके मुताबिक, भारत में युवा सबसे अधिक खुश हैं, जबकि निम्न मध्यमवर्गीय लोग सबसे कम खुश हैं। भारत में अधिक उम्र उच्च जीवन संतुष्टि से जुड़ी है और यह उन दावों के विपरीत है कि उम्र और जीवन संतुष्टि के बीच सकारात्मक संबंध केवल उच्च आय वाले देशों में मौजूद है।

औसतन भारत में वृद्ध पुरुष, वृद्ध महिलाओं की तुलना में जीवन से अधिक संतुष्ट हैं, लेकिन अन्य सभी मानकों को ध्यान में रखें तो वृद्ध महिलाएं, वृद्ध पुरुषों की तुलना में जीवन से अधिक संतुष्ट हैं। भारत में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त वृद्ध वयस्क और उच्च जातियों के लोग बिना औपचारिक शिक्षा वाले और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों की तुलना में जीवन से अधिक संतुष्ट हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वृद्ध आबादी दुनियाभर में दूसरी सबसे बड़ी है, जिसमें 60 और उससे अधिक उम्र के 14 करोड़ भारतीय हैं, जो 25 करोड़ चीनी समकक्षों के बाद दूसरे स्थान पर हैं।

इसके अतिरिक्त 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के भारतीयों की औसत वृद्धि दर देश की समग्र जनसंख्या वृद्धि दर से तीन गुना अधिक है। रहने की व्यवस्था से संतुष्टि, कथित भेदभाव और स्व-निर्धारित स्वास्थ्य इस अध्ययन में भारत के लिए जीवन संतुष्टि के शीर्ष तीन आधार के रूप में उभरकर सामने आए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 की तुलना में सर्बिया (37वां स्थान) और बुल्गारिया (81वां स्थान) में औसत जीवन मूल्यांकन स्कोर में सबसे बड़ी वृद्धि हुई है। जीवन मूल्यांकन स्कोर में सबसे बड़ी वृद्धि दर्शाने वाले अगले दो देश लातविया (46वें स्थान पर) और कांगो (89वां स्थान) हैं जिनकी रैंक में 2013 के मुकाबले 44 और 40 स्थानों की वृद्धि हुई है।

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