हनुमान जी से हर व्यक्ति को सिखानी चाहिए ये मंत्र, जीवन में कभी नहीं मिलेगी असफलता

सफलता का मंत्र : हनुमान जी के बारे में जितना बताया जाए कम है। महावीर हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि यह अपने भक्तों से कभी नाराज नहीं होते हैं। यह हमेशा अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न होकर एक बार माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था। यही वजह है कि हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि यह आज भी जीवित हैं। समय-समय पर हनुमान जी के जीवित होने के प्रमाण भी मिलते रहते हैं। हालाँकि कुछ लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते हैं।

हनुमान जी से हर व्यक्ति को सिखानी चाहिए ये मंत्र, जीवन में कभी नहीं मिलेगी असफलता

सफलता का मंत्र: दूर हो जाती है जीवन की परेशानियाँ हनुमान जी की ये सीख से भी :

हनुमान जी की जो भी भक्त सच्चे मन से आराधना करता है, उसके मन की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। व्यक्ति के जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है। हनुमान जी को दया की मूर्ति के रूप में भी देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि केवल हनुमान जी की पूजा से ही नहीं बल्कि उनके कुछ बातें सीख लेने पर भी व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियाँ हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं। व्यक्ति को किसी भी काम में असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ता है।

संघर्ष करने की क्षमता:

हनुमान जी जब माता सीता का पता लगाने के लिए समुद्र पार कर रहे थे, उस समय उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। सुरसा और सिंहिका नाम की दो राक्षसनियों ने हनुमान जी को लंका जानें से रोकना चाहा। लेकिन दोनों उन्हें रोक नहीं पायीं और हनुमान जी लंका पहुँच ही गए। ऐसे ही हर व्यक्ति को जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए। जीवन में कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है, लेकिन सभी को पार करते हुए आगे की तरफ बढ़ना चाहिए।

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हनुमान से सीखे चतुराई:
बहुत चतुर थे हनुमान जी उन्होंने सुरसा से लड़ने में अपना समय व्यर्थ में नहीं गंवाया। सुरसा हनुमान जी को खाना चाहती थी। इसके बाद हनुमान जी ने चतुराई दिखाते हुए खुद का आकार बहुत छोटा कर लिया, जिससे वो आसानी से सिरसा के मुंह में चले गए और उसमें से वापस भी निकल आये। हनुमान जी की यह चतुराई देखकर सिरसा प्रसन्न हो गयी और उनका रास्ता छोड़ दिया। इसीलिए हर व्यक्ति को जीवन में अपने कार्यों को पूरा करने के लिए चतुराई का सहारा लेना चाहिए ना की बल का।

हनुमान से सीखे संयमित जीवन:
हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि वह बालब्रह्मचारी हैं। उनका जीवन बहुत ही संयमित रहा है। संयम से रहने की वजह से ही उनकी शक्ति का कोई मुकाबला नहीं था। आजकल मनुष्य के जीवन में खान-पान से लेकर रहन-सहन सबकुछ असंयमित हो गया है। असंयमित रहने की वजह से ही व्यक्ति कई बिमारियों की चपेट में आ जा रहा है। संयम के साथ कैसे रहा जाता है, यह कला हर व्यक्ति को हनुमान जी से सीखनी चाहिए।

लोक कल्याण की भावना:
हनुमान जी का जन्म श्रीराम का साथ देने के लिए हुआ था। श्रीराम का कार्य रावण का वध करके पृथ्वी पर से फिर से मानवता की स्थापना करना था। इस काम में हनुमान जी ने उनका साथ दिया। ऐसे ही हर व्यक्ति को किसी अच्छे काम में किसी अन्य व्यक्ति की हमेशा सहायता करनी चाहिए। तो ये थे जीवन में सफलता पाने के अचूक मंत्र , सफलता का मंत्र

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