हर रिश्ते से बड़ा होता है ये रिश्ता, पढ़ें एक प्यारी सी कहानी

बचपन के दो दोस्तों ने एक साथ पढ़ाई की। स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ- साथ गए। उसके बाद दोनों ने सेना में जाने का फैसला किया। पूरी तैयारी के बाद दोनों ने सेना भी एक साथ ज्वाइन की। एक बार जब युद्ध छिड़ गया तो दोनों की तैनाती भी एक ही यूनिट में हुई। युद्ध के समय उनकी यूनिट चारों ओर से गोलीबारी से घिर गई, जिसमें उनके कई साथी शहीद हो गए। चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था और गोलियां चलने की आवाज आ रही थी। तभी एक दर्दभरी आवाज आई ‘ सुनील यहां आओ मेरे दोस्त मेरी मदद करो।’ सुनील पहचान गया कि यह उसके बचपन के दोस्त हरीश की आवाज है। उसने कैप्टन से उसके पास जाने की अनुमति मांगी।

इस पर कैप्टन ने कहा ‘ नहीं मैं तुमको वहां जाने की इजाजत नहीं दे सकता। हम पहले ही अपने कई जवानों को खो चुके हैं। मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूं। हरीश बहुत जख्मी है और उसका बचना मुश्किल है।’ कैप्टन की बात सुनकर सुनील चुप बैठ जाता है। तभी फिर से हरीश की आवाज आती है कि ‘ मेरी मदद करो। ‘

मानसून की मस्ती के लिए बेस्ट हैं ये जगह, प्लानिंग से पहले जान लीजिए खास बातें

इस बार सुनील से रहा नहीं गया और उसने कैप्टन से कहा कि ‘जो भी हो मैं हरीश की मदद जरूर करूंगा।’ सुनील की बात सुनकर कैप्टन ने उसको जाने की इजाजत दे दी। सुनील अंधेरी खंदकों से निकलता हुआ गया और हरीश को अपनी खंदक में ले आया। जब पता चला कि हरीश तो पहले ही शहीद हो चुकी है, तो कैप्टन को बहुत गुस्सा आया और उसने चिल्लाकर कहा कि ‘ मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि वह मर चुका है इसके बावजूद तुम वहां गए। तुमने बहुत बड़ी गलती की। ‘

सुनील ने कैप्टन से कहा कि ‘ नहीं कैप्टन, जब मैं वहां गया तब सुनील जिंदा था और उसने कहा कि मुझे पता था तुम जरूर आओगे। ‘

Back to top button