दिल्ली में पार्किंग पर जोर: 80 लाख वाहन… सिर्फ सवा लाख के लिए इंतजाम

राजधानी में वाहनों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ी, लेकिन उस लिहाज से पार्किंग का इंतजाम नहीं हो पाया। वर्ष 1995 के बाद दिल्ली की आबादी में करीब 2.5 फीसदी की दर से इजाफा हुआ, जबकि वाहनों की संख्या करीब 10 फीसदी से ज्यादा की दर से बढ़ी। मौजूदा समय में करीब 80 लाख वाहन दिल्ली में पंजीकृत हैं।

वहीं, करीब इतनी ही संख्या में वाहन यूपी, हरियाणा और दूसरे राज्यों से दिल्ली आते हैं, लेकिन शहर में करीब सवा लाख वाहनों के लिए ही पार्किंग की सुविधा है। वाहनों की संख्या के लिहाज से पार्किंग की जगह बेहद कम है। राजधानी में हर एक चुनाव में पार्किंग प्रमुख मुद्दा होता है, लेकिन योजनाओं के धरातल पर ठीक से लागू नहीं होने और सिविक एजेंसियों की उदासीनता के कारण लोग बेहद परेशान हैं।

दिल्ली विकास प्राधिकरण मास्टर प्लान में मानक तय
सड़कों पर अवैध पार्किंग बड़ी समस्या है, जिससे सड़कें जाम रहती हैं। पार्किंग को लेकर आए दिन लोगों में मारपीट की नौबत आ जाती है। असुरक्षित जगह वाहन खड़े होने से चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। कई बार सिविक एजेंसियां वाहन उठाकर ले जाती हैं। आम नागरिकों की पार्किंग से जुड़ी इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए उपराज्यपाल कार्यालय की देखरेख में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 2021 में दिल्ली के मास्टर प्लान में मूलभूत बदलाव किए।

इसके मुताबिक, किसी भी प्लॉट का कुछ फीसदी हिस्सा दोपहिया वाहनों की पार्किंग के लिए चिन्हित होता था। ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में प्लॉट के आकार के मुताबिक पार्किंग एरिया तय होता था। इस नियम में बदलाव कर तय किया गया कि सोसाइटी में जितने आवासीय फ्लैट होंगे, उनकी संख्या के मुताबिक पार्किंग एरिया अनिवार्य होगा। भूतल को पार्किंग के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। बाजारों में इनकी क्षमता के लिहाज से पार्किंग एरिया तय किया गया, लेकिन डीडीए का ये मास्टर प्लान धरातल पर पूरी तरह लागू नहीं हो पाया।

ढाई साल बाद भी पीएएमपी नहीं किए अधिसूचित
अधिकार वाले क्षेत्रों में डीडीए पार्किंग बनाता है। रोहिणी व द्वारका आदि इलाकों में ऐसी व्यवस्था है, लेकिन दिल्ली के अधिकतर क्षेत्र एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, जहां एमसीडी पार्किंग बनाती है। डीडीए के मास्टर प्लान के तहत एमसीडी ने जून 2021 में पार्किंग एरिया मैनेजमेंट प्लान (पीएएमपी) बनाया।

इस प्लान के ड्राफ्ट को 45 दिनों तक जनता के समक्ष रखकर उनकी आपत्तियां व सुझाव मांगे। फिर दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के पास मंजूरी के लिए भेजा। उस समय के दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने पीएएमपी के ड्राफ्ट के अंतर्गत 16 पार्किंग स्थानों को मंजूरी के लिए भेजा था, लेकिन पीएएमपी की सूची में शामिल स्थलों में से केवल लाजपत नगर के दो पार्किंग स्थल, लाजपत नगर मार्केट और लाजपत नगर-3 ही लागू हुए। तब के उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में दो स्थानों को ड्राफ्ट में शामिल किया गया। पूर्वी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में सर्वेक्षण शुरू ही नहीं हुआ।

कैशलेस भुगतान की सुविधा बढ़ाई
एमसीडी ने पार्किंग शुल्क भुगतान करने के लिए कैशलेस सुविधा शुरू की है। 21 पार्किंग में फास्टैग से पार्किंग शुल्क से भुगतान का टेंडर किया गया है, 28 पार्किंग स्थलों का टेंडर लोकसभा चुनाव के बाद होगा। चारपहिया वाहन फास्टैग से शुल्क का भुगतान कर पाएंगे और दोपहिया वाहनों के लिए यूपीआई की सुविधा रहेगी। कैशलेस पार्किंग शुल्क भुगतान की सुविधा मिलने से पार्किंग के अंदर समय की बचत होगी। साथ ही, इससे किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की संभावना पर लगाम लगेगी।

403 पार्किंग निगम की
निगम ने हाल ही में कुल 403 पार्किंग की सूची जारी की है। इनमें बहुमंजिला और सतह पार्किंग दोनों शामिल हैं। हाल ही में एमसीडी ने चांदनी चौक में सबसे बड़ी करीब 2338 कारों की पार्किंग खोली है। इससे पुरानी दिल्ली में कुछ हद तक पार्किंग की समस्या दूर होगी।

इसके अलावा निगम करीब नौ बहुमंजिला कार पार्किंग बना रहा। इनमें से कुछ बनकर तैयार हैं, कुछ के जल्द बनकर तैयार होने की संभावना है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव बाद ये सभी पार्किंग स्थल खोल दिए जाएंगे।

इन जगहों पर बननी है पार्किंग
पीएएमपी की सूची में शामिल आनंद लोक, अरविंदो मार्ग (एम्स के नजदीक), गीतांजलि एनक्लेव, ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, गुलमोहर पार्क, कैलाश कॉलोनी, कैलाश हिल्स, लाजपत नगर मार्केट (प्लान लागू), लाजपत नगर-3(प्लान लागू), मालवीय नगर, नीति बाग, निजामुद्दीन बस्ती, पंचशील एन्क्लेव, सफदरजंग डेवलपमेंट एरिया, सिद्धार्थ एक्सटेंशन पॉकेट-बी, सामी नगर जहां पार्किंग क्षेत्र की मंजूरी मिलनी है। पूर्ववर्ती उत्तरी दिल्ली क्षेत्र में कमला नगर मार्केट व रूप नगर शामिल हैं।

1970-80 के दशक में एमआईजी फ्लैट्स में पार्किंग के लिए स्कूटर शेड देने की व्यवस्था थी। 1995 के बाद दिल्ली की आबादी के लिहाज से वाहनों की संख्या चार गुना बढ़ी। फिर, दिल्ली मास्टर प्लान-2021 में ट्रांसपोर्टेशन के चैप्टर में वाहनों की पार्किंग के मानक तय किए गए। सरकारी भवनों के क्षेत्रफल का 1.33 फीसदी और वाणिज्यिक भवनों के क्षेत्रफल का 2-3 फीसदी पार्किंग क्षेत्र तय किए गए। भूतल को पार्किंग के रूप में बनाने के नियम बनाए गए। दिल्ली में एमसीडी और एनडीएमसी जैसी सिविक एजेंसियां ज्यादातर राजनीतिक दबाव में काम करती हैं। इसका असर ये हुआ है कि हर एक सड़क पर अवैध रूप से पार्किंग बन गई है। सिविक एजेंसियां राजनीति को पीछे छोड़कर, कार्रवाई पर ध्यान दें तो कुछ हद तक समस्या का समाधान संभव है। -एके जैन, डीडीए के पूर्व आयुक्त

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