लखनऊ के दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव को सीएम योगी ने किया संबोधित

लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों में वर्णित 700 श्लोक सनातन धर्मावलंबियों के लिए जीवन का मंत्र हैं।

हमने धर्म को मात्र उपासना विधि नहीं माना है। यह तो अपनी आस्था के अनुसार तय होती है। वास्तव में धर्म हमारे यहां जीवन जीने की कला है। गीता हमें जीवन जीने की ही कला सिखाती है। हमने कभी भी अपनी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा। जीयो और जीने की अवधारणा भारत की धरती ने ही विश्व को दी है। वसुधैव कुटुंबकम् की प्रेरणा भी हमने ही दी।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ने हमें सिखाया है कि अच्छे कर्म का फल अच्छा मिलता है और बुरे कर्म का फल बुरा होता है। सीएम ने कहा कि हमें गीता ने बताया कि फल की इच्छा से इतर निष्काम कर्म ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।

सीएम ने कहा, लोग पूछते हैं कि आरएसएस की फंडिंग कहां से होती है तो मैं यह बताना चाहूंगा कि यहां कोई देश या संगठन फंडिंग नहीं करता। लोग निःस्वार्थ भाव से जुड़ते हैं। आरएसएस, राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ पिछले सौ वर्षों से लोगों की निःस्वर्थ सेवा में लगा है। हर वर्ग के लिए और उनके जीवन के उत्थान के लिए आरएसएस काम कर रहा है। 140 करोड़ लोगों के लिए गीता आवश्यक है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे।

कोलाहल में ही गीता के उपदेश की जरूरत है

उत्सव में स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान देने के लिए मोक्षदा एकादशी का दिन चुना था। इस आयोजन का उद्देश्य प्रेरणा के साथ एक आह्वान भी है कि आज के समय में गीता के साथ जीने की आवश्यकता है। कोलाहल में ही गीता के उपदेश की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी का क्या फायदा जब स्मार्ट सिटीजन ही नहीं होंगे। ऐसे में गीता का ज्ञान लोगों को स्मार्ट बनाने के लिए है। स्वार्थगत तुष्टिकरण के बादल छंट रहे हैं। सनातन का उदय हो रहा है। ऐसे में हमारा उद्देश्य है कि गीता के संदेश को घर घर और जन जन तक पहुंचाने का है। शिक्षा के क्षेत्र में भी गीता आए और बच्चों को शुरुआत से ही गीता के संस्कारों की शिक्षा दी जाए। समाज के हर क्षेत्र में गीता का संदेश पहुंचाना चाहिए।

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