तो इसलिए सांप के नहीं होते पैर, जानें इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण

सांप वो प्राणी है जिसका नाम सुनते ही हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सांप का नाम ही थरथराहट पैदा करता है। लेकिन सांप का नाम आते ही लोगों के जेहन में ये सवाल उठता होगा कि आखिर सांप रेंगता क्यों है, दूसरे जानवरों की तरह उसके पैर क्यों नहीं होते। आइए जानते हैं साप के पैरों से जुड़ी इस दिलचस्प जानकारी के बारे में जो आपको एकबारगी चौंकने पर मजबूर कर देगी।

वैज्ञानिकों ने सांप के जीवाश्मों का गहन अध्ययन करके इस बात का पता लगाया है कि सांप के पैर क्यों नहीं होते। दरअसल इसके लिए सांप के पूवज जिम्मेदार हैं। ऐसा नहीं है कि शुरूआत से ही सांप के पैर नहीं है। पहले सांप के पैर थे लेकिन कुछ विशेष परिस्थतियों में रेंगने की कवायद के चलते उसके पैर विलुप्त हो गए।

कुछ समय पहले एडिनब$ग विवि ने इस सवाल का जवाब खोजते हुए नए जमाने के सांपों और उनके जीवाश्मों के सीटी स्कैन किए जिससे इस संबंध में रोचक जानकारी मिली कि सांप के पूवज उनके पैरों के विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार है।

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पहले सांपों के पूवज बिलों में रहते थे और इन संकरे बिलों में घुसने के लिए जिस तरह वो रेंगकर घुसते थे, धीरे धीरे उन्हें रेंगने की आदत हो गई और पीढ़ी दर पीढ़ी ऐसा होते हुए उनके शरीर का डीएनए इस तरह का बन गया कि इस्तेमाल न होने वाले पैर विलुप्त हो गए।

ये जानने के लिए वैज्ञानिकों ने एक 3डी मॉडल की सहायता से सांपों के जीवाश्म और आधुनिक सापों के अंगों की तुलना की गई तो पता चला कि पहले के सांपों के कानों की अंदरूनी संरचना ऐसी होती थी कि वो धरती के नीचे रहने वाले जीवों का भी केवल सुनकर पता लगा लेते थे और शिकार करते थे। लेकिन आधुनिक सापों में यह क्षमता खत्म हो गई है। ऐसा किसलिए हो गया है इस पर अध्ययन जारी है।

पहले के सांप हर वातावरण में रहने के आदी थे, उनके शरीर का तापमान ताप के मुताबिक घटता और बढता था। लेकिन आधुनिक सापों में यह विशेषता लुप्त हो गई है।

जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया में सांपों की 3000 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से केवल २० फीसदी प्रजातियों के सांपों का जहर ही प्राणघातक होता है।

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